Success Story: जो जिया वही किया.. बीहड़ इलाकों में उजाला बनकर उभरे IAS अवनीश शरण, जानिए संघर्षों से भरी कहानी
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Success Story: जो जिया वही किया.. बीहड़ इलाकों में उजाला बनकर उभरे IAS अवनीश शरण, जानिए संघर्षों से भरी कहानी

Success Story​: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के कलेक्टर (Bilaspur Collector Story) अवनीश शरण अपने काम को लेकर काफी चर्चित रहते हैं. अवनीश शरण सोशल मीडिया पर तैयारी करने वाले बच्चों को टिप्स भी देते हैं. यहां जानिए संघर्षों से भरी इनकी कहानी. 

Success Story: जो जिया वही किया.. बीहड़ इलाकों में उजाला बनकर उभरे IAS अवनीश शरण, जानिए संघर्षों से भरी कहानी

IAS Awanish Sharan Story: रश्मिरथी में लिखा गया है 'जीवन का रस छन जाने दे, तन को पत्थर बन जाने दे, तू स्वयं तेज भयकारी है, क्या कर सकती चिंगारी है? ये लाइनें पढ़ने लिखने और संघर्ष करने वाले लोगों के अंदर जान डाल देती हैं. ये लाइनें बिलासपुर के कलेक्टर अवनीश शरण (Motivational Story IAS Awanish Sharan) पर भी फिट बैठती हैं. क्योंकि अवनीश शरण का जीवन काफी उतार- चढ़ाव भरा रहा है. राज्य लोकसेवा आयोग की परीक्षा में 10 से ज्यादा बार फेल होने के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और UPSC की परीक्षा में 77 वीं रैंक लाकर लोगों के लिए मोटिवेशन बन गए. हालांकि अवनीश शरण का सफर इतना भी आसान नहीं रहा, इस दौरान उन्हें तमाम मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने वो हासिल किया जो वो चाहते थे. अब पढ़ने- लिखने वाले बच्चों की मदद के साथ उनका हौसला भी बढ़ाते हैं. जानिए अवनीश शरण के संघर्ष (Success Stoty) की कहानी.  

अवनीश शरण का शुरुआती जीवन
अवनीश शरण मूल रुप से बिहार राज्य के समस्तीपुर जिले के रहने वाले हैं. इनका जन्म मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था. इनके दादा सेना में अधिकारी थे और पिता टीचर थे, साथ ही साथ कृषि कार्य से जुड़े थे और स्वतंत्र पत्रकारिता भी करते थे. इनकी शुरुआती पढ़ाई समस्तीपुर जिले से ही हुई, ये पढ़ाई में मिडिल क्लास स्टूडेंट थे. 10 वीं की परीक्षा में इन्हें 44.7 प्रतिशत, 12वीं की परीक्षा में 65 प्रतिशत, ग्रेजुएशन में 60 प्रतिशत मार्क हासिल हुआ था. 

इसलिए बदला इरादा 
अवनीश शरण ग्रैजुएशन करने के बाद उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) में आगे की तैयारी के लिए अपने चाचा के पास आ गए. आर्थिक परिस्थितियां सही न होने की वजह से इन्होंने एकेडमिक में आगे पढ़ाई न करने का इरादा बनाया था. साथ ही साथ इनका रूझान तैयारी की तरफ बढ़ गया और ये तैयारी करने लगे. 

कई बार निराश लगी हाथ 
अवनीश पढ़ाई में मिडिल क्लास के स्टूडेंट थे. जिसकी वजह से इनके हाथ कई बार निराशा लगी. बता दें कि इन्हें CDS, CPF की परीक्षा निराशा हाथ लगी और ये फेल हो गए. इसके अलावा राज्य लोकसेवा आयोग की परीक्षा में भी 10 से ज्यादा बार ये प्री की परीक्षा में फेल हुए, इसके बावजूद भी इन्होंने हार नहीं मानी और संघ लोकसेवा आयोग की परीक्षा में पहले ही प्रयास में ये इंटरव्यू में पहुंचे और दूसरे प्रयास में इन्होंने आल इंडिया 77वीं रैंक हासिल करके खुद को साबित कर दिया. 

आदिवासी क्षेत्रों में उजाला बनकर उभरे
अवनीश शरण बलरामपुर जिले में कलेक्टर भी रह चुके हैं. यहां रहते हुए उन्होंने कई ऐसा काम किया जिसको आज भी याद किया जाता है. बता दें उनकी देख- रेख में जिले के पहाड़ी आदिवासी इलाकों में लगभग 9 किमी लंबी बिजली लाइन तय समय से पहले बिछा दी गई थी. इसके अलावा उन्होंने अपने प्रयास से जिले में बाइक एंबुलेंस की शुरुआत की जिससे स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो सकी. इसके अलावा भी उन्होंने कई और सराहनीय कार्य अपने कार्यकाल में किया. इस समय बिलासपुर जिले में भी पिछड़े इलाकों में उनके देख- रेख में बिजली- पानी से जुड़े हुए कई अच्छे काम हो रहे हैं. 

सोशल मीडिया पर रहते हैं एक्टिव 
अवनीश शरण वर्तमान में बिलासपुर जिले के कलेक्टर हैं, ये सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा एक्टिव रहते हैं. ये आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों की मदद भी करते हैं, साथ ही साथ देखा जाता है कि ये कमजोर छात्रों को पढ़ाई को लेकर टिप्स देते हैं, खास करके जो छात्र पढ़ाई में कमजोर रहते हैं. इनका मानना है कि परीक्षा में कम अंक आपके जीवन की दशा और दिशा नहीं तय करते हैं. अगर आप ईमानदारी के साथ मेहनत कर रहे हैं तो एक दिन आपको जरूर सफलता मिलेगी. इसके अलावा इन्हें बच्चों के पैरेंट्स और टीचर से नंबर के लिए दबाव न बनाने की अपील करते हुए पाया गया है.  

बता दें कि इन्होंने कमजोर रुप से मेधावी छात्र- छात्राओं के लिए उड़ान और पहल नाम से कोचिंग संस्थान की स्थापना कराई है, जिसका उद्देश्य विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की नि:शुल्क तैयारी कराना है. इन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी सम्मान मिल चुका है. 

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