Bhojshala In Dhar: मध्य प्रदेश की धार भोजशाला में एएसआई सर्वे पूरा हो चुका है. लेकिन अब भोजशाला के मामले में एक नया मोड़ आता दिख रहा है. अब तक हिंदू और मुस्लिम समाज ही इस पर अपना अधिकार जता रहे थे. लेकिन अब जैन समाज ने भी धार भोजशाला पर अपना दावा किया है. जैन समाज ने इस इमारत को अपना गुरुकुल बताया है. जैन समाज ने इस मामले में 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की है, इस याचिका में जैन समाज ने खुद को तीसरी पार्टी के रूप में शामिल करने की अपील की है. इस बात का खुलासा बुधवार को हुआ है. जिसके बाद यह मामला एक बार फिर से नया मोड़ लेता नजर आ रहा है. 


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जैन समाज ने बताया गुरुकुल 


धार भोजशाल को जैन समाज ने अपना गुरुकुल बताया है. 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका में जैन समाज ने दावा किया है कि 'उनका पक्ष भी सुना जाए. क्योंकि ब्रिटिश म्यूजियम में जो मूर्ति है, वह जैन धर्म की देवी अंबिका की है, यह मूर्ति वाग्देवी (सरस्वती) की नहीं है. इसके अलावा भोजशाला के एएसआई सर्वे में बहुत सी मूर्तियां निकली हैं, यह सभी मूर्तियां जैन धर्म से संबंधित हैं.' जिससे अब यह मुद्दा एक और नए मोड़ पर जाता नजर आ रहा है. 


पूजा का मांगा अधिकार 


जैन समाज ने भोजशाला में पूजा का अधिकार मांगा है. जैन समाज की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले सलेकचंद्र जैन का दावा है कि भोजशाला जैन समाज की है. इसलिए पूरे समाज को यहां पूजा का अधिकार मिलना चाहिए. क्योंकि 1857 में खुदाई के दौरान यहां पर जो मूर्ति निकली है वह जैन धर्म की देवी अंबिका की मूर्ति है. इसलिए इस पर जैन समाज का अधिकार होना चाहिए. उन्होंने इसके पीछे कई तर्क दिए हैं. उनका कहना है कि राजा भोज सर्व धर्म प्रेमी थे. उनकी राज्यसभा में धनंजय जैन नाम के एक कवि थे. जिन्हें राजा भोज काफी पसंद करते थे और उनकी कविताओं की तारीफ भी उन्होंने की थी.


'दावा है कि राजा भोज धनंजय जैन के गुरु आचार्य महंत मानतुंग से बहुत प्रभावित हुए थे. पहले तो उन्हें बलपूर्वक कारागार में डाल दिया था. लेकिन बाद में राजा भोज उनसे बहुत प्रभावित हो गए थे. जिसके चलते उन्होंने पूरे मालवा प्रांत में कई जैन मंदिर बनवाए थे. भोजशाला भी एक जैन गुरुकुल था. जिसमें सभी धर्म के बच्चे पढ़ने के लिए आते थे. इसके अलावा उन्होंने यहां भगवान आदिनाथ का मंदिर होने का दावा भी किया है. दावा है कि सर्वे के दौरान एक मूर्ति निकली है जो भगवान नेमीनाथ की है, जो जैनों के 22वें तीर्थंकर थे. इसके अलावा उन्होंने सर्वे के दौरान जैन समाज से जुड़े कई चिन्ह निकलने का दावा भी किया है.' ऐसे में जैन धर्म के दावे के बाद फिलहाल यह मामला नया मोड़ लेता नजर आ रहा है. 


मंदिर-मस्जिद का है विवाद 


दरअसल, जैन समाज के दावे से पहले धार भोजशाला को लेकर मंदिर-मस्जिद का विवाद है. हिंदू वर्ग इसे मंदिर बताता है. दावा है कि भोजशाला एक मंदिर है, जिसमें मां बग्गा देवी यानि सरस्वती जी की मूर्ति हैं. यह मंदिर राजा भोज ने बनवाया था. वहीं मुस्लिम समाज इसे अपनी मस्जिद बताता है. उनका तर्क है कि यह कमाल मौला की मस्जिद है. ऐसे में हिंदू समाज यहां मंगलवार को पूजा करता है और मुस्लिम समाज शुक्रवार को नमाज अदा करता है. वहीं अब इस पर जैन समाज ने अपना दावा कर दिया है. 


100 दिन चला सर्वे 


धार भोजशाला को लेकर मंदिर-मस्जिद का विवाद पुराना है. कोर्ट में जाने के बाद इस मामले में न्यायालय ने 21 मार्च, 2024 को एएसआई सर्वे कराने का आदेश दिया था. जिसके बाद यहां 100 दिन तक एएसआई सर्वे चला था. वहीं 15 जुलाई को एएसआई सर्वे की रिपोर्ट 15 जुलाई को हाईकोर्ट में पेश कर दी गई थी. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. 22 जुलाई को इस मामले में आखिरी सुनवाई हुई ती, जबकि अब 30 जुलाई को इस मामले में फिर से सुनवाई होनी है. 


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