संदीप मिश्रा/डिंडौरी: डिंडौरी जिले में बैगा आदिवासी बरसाती नाले पर बने गड्ढे में जमा दूषित पानी पीकर प्यास बुझाने को मजबूर हैं. हैरान करने वाली बात तो यह है कि जल ही जीवन है, का नारा अलापने वाले पीएचई विभाग के अफसर अपनी नाकामियों को छिपाने दूषित पानी को शुद्ध एवं औषधियों से भरपूर होना बता रहे हैं. पीएचई विभाग के अफसर यह भी दलील दे रहे हैं कि बैगा जनजाति के लोग हैंडपंप का पानी पीने से कतराते हैं और वे इसी तरह से झिरिया व गड्ढे का पानी पीना पसंद करते हैं. जबकि बैगा आदिवासियों का कुछ और ही कहना है.


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 बैगा आदिवासियों का साफ़ कहना है कि आसपास हैंडपंप व शुद्ध पानी उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्हें दूषित पानी पीकर प्यास बुझाना पड़ता है. आपको बता दें कि करंजिया जनपद क्षेत्र अंतर्गत लिम्हा गांव में सौ फीसदी विशेष संरक्षित बैगा जनजाति के लोग निवास करते हैं और आजादी के सालों बाद भी इस गांव तक सड़क नहीं बन पाई है. गांव में निवासरत बैगा जनजाति के लोगों को राशन लेने के पांच किलोमीटर का लंबा सफर पैदल तय करना पड़ता है एवं गांव तक एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाने के कारण बीमारों एवं गर्भवती महिलाओं को खाट के सहारे अस्पताल ले जाना पड़ता है.


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नहीं जानते विधायक-सांसद का नाम
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव के लोग न ही अपने विधायक का नाम जानते हैं और न ही अपने सांसद को पहचानते हैं. गांव के लोग बताते हैं कि चुनाव के समय पांच साल में एकबार उनकी पार्टी के कार्यकर्ता गांव आते हैं और फिर दोबारा कभी दिखाई नहीं देते हैं. डिंडौरी से लगातार तीन बार विधायक एवं कमलनाथ सरकार में पंद्रह महीने कैबिनेट मंत्री रहे ओमकार मरकाम से जब इस मामले को लेकर हमने सवाल किये तो विधायक जी गोलमोल बातें कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए नजर आये.


वहीं यह गांव मोदी सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के संसदीय क्षेत्र में आता है. जो कि पिछले कई वर्षों से सांसद हैं. इस मामले को लेकर उनसे तो बात नहीं हो पाई लेकिन बीजेपी के जिलाध्यक्ष जिले में व्याप्त जलसंकट को लेकर केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना की तारीफों के पुल बांधते हुए नजर आ रहे हैं.