डिंडौरी कांग्रेस में मचा घमासान, एक साथ हुए सामूहिक इस्तीफे, कमलनाथ के खिलाफ खोला मोर्चा
विधानसभा चुनाव से पहले डिंडौरी कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. दरअसल डिंडौरी कांग्रेस जिलाध्यक्ष वीरेंद्र बिहारी शुक्ला को हटाकर कांग्रेस पार्टी ने अशोक पड़वार को जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी है. इसी वजह से कांग्रेस पार्टी के अंदर घमासन मच गया है.
संदीप मिश्रा/डिंडौरी: डिंडौरी कांग्रेस जिलाध्यक्ष वीरेंद्र बिहारी शुक्ला को हटाकर कांग्रेस पार्टी ने अशोक पड़वार को जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी है. जिसके बाद डिंडौरी जिले में कांग्रेस पार्टी के अंदर घमासान मच गया है. वीरेंद्र बिहारी शुक्ला को जिलाध्यक्ष के पद से हटाये जाने से नाराज जिलापंचायत अध्यक्ष रुदेश परस्ते, उपाध्यक्ष अंजू ब्यौहार, नगर परिषद अध्यक्ष सुनीता सारस समेत जिलापंचायत सदस्य एवं पार्षदों ने कांग्रेस पार्टी से सामूहिक इस्तीफ़ा दे दिया है.
बता दें कि वीरेंद्र बिहारी के समर्थन में पार्टी के नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस्तीफे की जानकारी मीडिया को देते हुए बताया कि वीरेंद्र बिहारी के नेतृत्व में सालों बाद जिलापंचायत एवं नगर परिषद में कांग्रेस ने जीत हासिल की है, बावजूद इसके कांग्रेस पार्टी ने उन्हें पद से हटा दिया.
निर्दलीय चुनाव लडेंगे
जिलापंचायत अध्यक्ष रुदेश परस्ते ने वीरेंद्र बिहारी को जिलाध्यक्ष पद से हटाने के लिए स्थानीय कांग्रेस विधायक पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमकार मरकाम पर साजिश रचने का आरोप लगाया है. जिलापंचायत अध्यक्ष रुदेश परस्ते ने विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने के भी संकेत दिए हैं. वहीं प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र बिहारी का दर्द छलक पड़ा और वे भावुक हो गए.
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कमलनाथ की वजह से गिरी सरकार
कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र बिहारी ने न सिर्फ स्थानीय विधायक ओमकार मरकाम बल्कि पीसीसी चीफ कमलनाथ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. उन्होंने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से नहीं बल्कि कमलनाथ की मनमानी के चलते गिरी थी.
कांग्रेस में दिखी गुटबाजी
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को चंद महीने बचे हैं और ऐसे समय में पार्टी को गुटबाजी एवं अंतर्कलह से इतर होकर एकजुट करने की तैयारी चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ डिंडौरी जिले में जहां दोनों विधानसभा में कांग्रेस के विधायक हैं. वहां संगठन एवं विधायक के बीच गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है. अब देखना यह दिलचस्प होगा की आगामी विधानसभा चुनाव में इस गुटबाजी और अंतर्कलह से कांग्रेस पार्टी को कितना नुकसान होता है.