हिंदी टीचर की दोनों किडनी हुई खराब, फिर भी पढ़ाने आते हैं स्कूल, छात्र-छात्राएं सलामती के लिए कर रहे प्रार्थना
कहते हैं जब दवा काम न आये तब दुआ काम करती है. डिंडौरी (Dindori) में मेहदवानी मॉडल स्कूल के हिंदी टीचर संजय कुमार (Hindi teacher sanjay kumar) की जिंदगी बचाने स्कूली बच्चे हर रोज सलामती की दुआएं कर रहे हैं.
संदीप मिश्रा/डिंडौरी: कहते हैं जब दवा काम न आये तब दुआ काम करती है. डिंडौरी (Dindori) में मेहदवानी मॉडल स्कूल के हिंदी टीचर संजय कुमार (Hindi teacher sanjay kumar) की जिंदगी बचाने स्कूली बच्चे हर रोज सलामती की दुआएं कर रहे हैं. आपको बता दे कि संजय कुमार की दोनों किडनी (kidney) खराब हो चुकी है और मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक वे चंद दिनों के ही मेहमान हैं. अब अपने चहेते टीचर की बीमारी की जानकारी लगते ही स्कूली छात्र छात्राएं बेहद भावुक और मायूस हैं.
कहा जाता है कि उम्मीद पर दुनिया कायम है. तो अब स्कूल के बच्चों ने भी उम्मीद नहीं छोड़ी है. वे अपने हिंदी टीचर के स्वास्थ में बेहतरी के लिये रोज स्कूल में प्रार्थना करते हैं और उन्हें यकीन है कि एक दिन उनके टीचर बिल्कुल स्वस्थ होंगे.
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दोनों किडनी हो गई खराब
स्कूली छात्रों का लगाव व प्रेम देख टीचर संजय सिंह भी भावुक हैं और उनके मन में भी विश्वास बढ़ गया है कि दवा से न सही छात्रों की दुआएं जरूर असर करेगी. छात्रों के साथ स्कूल का पूरा स्टाफ भी हिंदी टीचर के लिये रोज प्रार्थना में शामिल होता है. टीचर संजय सिंह से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि नवम्बर महीने में पहली बार जब उनकी तबियत खराब हुई थी. तब वे स्थानीय सरकारी अस्पताल में गये थे और डॉक्टर की सलाह पर वे चेकअप कराने जबलपुर और नागपुर गये. जहां डॉक्टरों ने दोनों किडनी खराब होने की बात कर अपने हाथ खड़े कर लिये. फिर सोशल मीडिया में चंडीगढ़ में आयुर्वेदिक उपचार की जानकारी मिली. जहां उनका इलाज जारी है.
बीमार होते हुए भी पढ़ाने आ रहे
एक तरफ टीचर संजय सिंह उपचार के लिये अस्पतालों के चक्कर काट रहे थे, तो वहीं स्कूल में छात्रों ने उनके लिये प्रार्थना करना शुरू कर दिया था. स्कूली छात्र अपने हिंदी टीचर का गुणगान करते नहीं थकते. उनके पढ़ाने का अंदाज, व्यवहार एवं हर प्रकार से मदद करने के लिये तत्पर रहना, यह सब बताते हुए बेहद भावुक हैं. वहीं स्कूल प्रिंसिपल का कहना है कि उन्होंने हिंदी टीचर संजय कुमार को आराम करने के लिये अवकाश की अनुमति दे रखी है. लेकिन बीमार और कमजोर होने के बाद भी वे रोज स्कूल आते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं.