Dindori: हाय रे व्यवस्था! बाढ़ और तेज बहाब के बीच शव को नदी के पार लेकर गए ग्रामीण
एक तरफ पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो वहीं दूसरी तरफ आदिवासी क्षेत्र डिंडौरी से एक ऐसा वीडियो सामने आया है. जिसे देख आपका दिल भी कांप उठेगा.
डिंडौरी: एक तरफ पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो वहीं दूसरी तरफ आदिवासी क्षेत्र डिंडौरी से एक ऐसा वीडियो सामने आया है. जिसे देख आपका दिल भी कांप उठेगा. जी हां, डिंडौरी जिला चिकित्सालय से मृतक घोषित व्यक्ति को सरकारी एम्बुलेंस की मदद से गांव तक भेजा गया पर एक गांव को दूसरे गांव से जोड़ने वाली नदी पर बारिश के चलते बाढ़ आई हुई थी तो ग्रामीणों ने ट्यूब के सहारे मृतक के शव को ट्यूब में रखकर तैर कर अपनी जान जोखिम में डाल गांव लेकर पहुंचे और तब जाकर मृतक का अंतिम संस्कार किया जा सका.
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जानकारी के अनुसार वीडियो अनूपपुर जिला और डिंडौरी जिला के बीच नर्मदा नदी का बताया जा रहा है. जहां अनूपपुर जिला के ग्राम ठाड़पथरा एवं डिंडौरी जिला के बजाग जनपद क्षेत्र की ग्राम पथरकूचा के बीच नर्मदा नदी बहती है. जहां बाढ़ आने से ऐसे हालात बने है.
दिल का दौरा पड़ने से निधन
दरअसल अनूपपुर जिला के ठाड़पथरा निवासी 55 वर्षीय विषमत नंदा को दिल का दौरा पड़ने पर नजदीकी इलाज के लिए डिंडौरी जिला चिकित्सालय परिजन व ग्रामीण लेकर पहुंचे थे, लेकिन नर्मदा नदी में बाढ़ के चलते उन्हें ट्यूब के सहारा लेना पड़ गया. हालांकि परिजन उन्हें बचा नहीं सके. जिला चिकित्सालय में इलाज के दौरान उनकी रविवार की दोपहर मौत हो गई. तब सरकारी एम्बुलेंस की मदद से मृतक के पार्थिक शरीर को बजाग जनपद क्षेत्र के ग्राम पथरकूचा तक लाया गया. जहां से बाढ़ ग्रस्त नर्मदा नदी को ट्यूब के सहारे परिजन व ग्रामीण तैर कर पार कर गांव ठाड़पथरा लेकर पहुँचे और मृतक विषमत नंदा का अंतिम संस्कार किया.
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ग्रामीणों की मांग पुल बनाया जाए
ग्रामीणों की मांग है कि हर बारिश में ऐसे हालात बनते है. जिसके चलते ठाड़पथरा के ग्रामीणों को इलाज सहित दूसरी आवश्यकता के लिए एक मात्र मार्ग से आवागमन करना पड़ता है. यहां पर पुल बनाया जाए ताकि आगामी समय मे ऐसी परेशानियों का सामना ग्रामीणों को न करना पड़े. शव वाहन के चालक संदीप परिहार से जब हमने बात की तो उन्होंने उस पल को याद करते हुए बताया कि शव को ट्यूब में बांधकर ले जाने वाली तस्वीरें दिल को झंकझोर देने वाली थी. वहीं ड्यूटी डॉक्टर सुरेश मरावी का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन के द्वारा शव को गांव तक पहुंचाने के लिए शव वाहन का इंतज़ाम किया गया था.