Deepawali Lakshmi Ganesh Puja Vidhi 2022: दिवाली के दिन धन की देवी और बुद्धि के देवता की पूजा साथ में होती है. हर जगह हमें लक्ष्मी जी के साथ विष्णु भगवान ही नजर आते हैं. पर यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि गणेश जी को पुत्र मानने के बाद भी क्यों लक्ष्मी जी की पूजा गणेश जी के साथ की जाती है. बिना गणेश पूजन किए किसी भी देवता की पूजा प्रारंभ नहीं की जाती.  श्री गणेश को प्रथम पूज्य होने का वरदान प्राप्त है. लक्ष्मी माता और गणेश जी की पूजा करने के पीछे एक पौराणिक कथा है.


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क्या है पौराणिक कथा 
विष्णु जी और माता लक्ष्मी वैकुण्ड धाम में बैठ कर बात कर रहे थे. तभी माता लक्ष्मी ने विष्णु जी के सामने कहा की मैं दुनिया में सबसे अधिक पूजनीय एवं श्रेष्ठ हूं. मेरी कृपा से लोगों  के जीवन में सुख समृद्धि आती है. यह सुनकर विष्णु जी ने माता लक्ष्मी का अहं खत्म करने का फैसला लिया. उन्होंने कहा देवी तुम श्रेष्ठ हो पर सर्वगुण संपन्न नहीं, क्योंकि तुम एक माता नहीं हो. जब तक किसी स्त्री को मातृत्व का सुख न मिले तब तक वह सर्वगुण संपन्न नहीं हो सकती. यह सुनकर माता लक्ष्मी को बहुत दुःख हुआ. वो माता पारवती के पास गई और उनसे प्रार्थना की कि आपके तो दो पुत्र हैं. आप उनमें से एक पुत्र मुझे सौंप दीजिए. माता पारवती ने उनकी विनती सुनी और गणेश जी को उनके दत्तक पुत्र के रूप में सौपा. माता लक्ष्मी ने यह वचन दिया की वह उनका विवाह ब्रह्मा की दो पुत्री रिद्धि और  सिद्धि से करवाएंगी. और यह ही कहा  मेरी सभी सिद्धियां, सुख-सम्पत्ति मैं अपने पुत्र गणेश को प्रदान करती हूं . उन्होंने यह भी कहा कि जब भी उनकी पूजा की जाएगी तो साथ में गणेश भगवान का पूजन अवश्य होगा. जो व्यक्ति ऐसा नहीं करेगा, वह कभी भी धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त नहीं कर पायेगा. तब से आज तक माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा लगातार होती चली आ रही ही. 


क्यों गणेश जी के दाहिनी ओर विराजती हैं मां लक्ष्मी
गणेश जी माता लक्ष्मी के दत्तक पुत्र के रूप में जाने जाते  हैं. गणेश  जी को पुत्र रूप में पा कर माता लक्ष्मी बहुत खुश हुई और उन्होंने गणेश जी को यह वरदान दिया कि जो भी मेरी पूजा के साथ तुम्हारी पूजा करेगा मैं उसके यहां वास करूंगी. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसलिए लक्ष्मी जी के साथ हमेशा उनके 'दत्तक-पुत्र' भगवान गणेश की पूजा की जाती है. माता सदैव अपने पुत्र के दाहिनी ओर विराजती है इसलिए मां लक्ष्मी गणेश जी के दाहिने ओर विराजमान हैं. 


बुद्धि से ही मिलता है विवेक   
लक्ष्मी जी के साथ गणेश पूजन का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि धन के साथ बुद्धि भी सदा साथ रहे. बिना बुद्धि के केवल धन होना व्यर्थ है. अगर आपके पास धन भरपूर हो और बुद्धि न हो तो आप उसे गलत कामों में लगा सकते हैं या फिर आप फिसूल खर्च करने में लग जाएंगे . इसलिए धन के साथ बुद्धि का होना बहुत महत्वपुर्ण है. हर गृहस्थ के घर में लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की भी स्थापना की जाती है. 


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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)