GMC Suicide Case/आकाश द्विवेदी: राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (Gandhi Medical College) के डॉ सरस्वती सुसाइड केस मामले में अब नया मोड़ आ गया है. प्रदेश सरकार ने मामला शांत कराने के लिए प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों नई व्यवस्था की है.  अभी मेडिकल कॉलेजों में किसी भी विभाग के  विभागाध्यक्ष का कार्यकाल अधिकतम 2 साल ही रहेगा.  वर्तमान में कार्यरत विभागों के HOD नियुक्ति की तारीख से 2 साल तक काम कर सकेंगे. डिपार्टमेंट के एचओडी का प्रभार रोटेशन वाइज बदला जाएगा. नॉन मेडिकल पर्सन की पहले नियमों के अनुसार नियुक्ति नहीं हो सकेगी.


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इससे पहले डॉ. सरस्वती आत्महत्या मामले में ( Dr.Saraswati Suicide Case) चिकित्सा शिक्षा विभाग ने कार्रवाई करते हुए महिला एवं प्रसूति विभाग की HOD डॉ. अरुणा कुमार को उनके पद से हटा दिया गया. जीएमसी समेत प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर डॉ. अरुणा को हटाना की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे थे. इसके अलावा परिजनों ने भी डॉ. अरुणा पर उत्पीड़न और उनके निजी जीवन के बारे में अनुचित टिप्पणियां करने का आरोप लगाया था. 


क्या है मामला?
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज की जूनियर डॉ बाला सरस्वती ने पिछले रविवार को बेहोशी का ओवरडोज इंजेक्शन लेकर आत्महत्या कर ली थी. सुसाइड नोट में जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती ने अपनी मौत के लिए विभाग की तीन सीनियर महिला डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराया था. सुसाइड नोट में लिखा था कि सारे काम दिल से करने के बाद भी कामचोर होने के ताने दिए जाते थे. जूनियर्स के सामने मुझे कामचोर कहा जाता है. उधर, सरस्वती के पति जयवर्धन चौधरी का आरोप था कि पत्नी से 36 घंटे तक काम कराया जाता था.


कल खत्म हुई हड़ताल
इससे पहले चिकित्सा शिक्षा विभाग के आश्वासन के बाद जूनियर डॉक्टरों ने चार दिनों से चल रही हड़ताल को शनिवार को समाप्त कर दिया था. गांधी मेडिकल कॉलेज में हड़ताल का पूरे राज्य में व्यापक असर रहा और अन्य मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर इसमें शामिल थे. भोपाल, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर, सागर और रीवा में चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं क्योंकि इन संस्थानों के जूनियर डॉक्टर भी हड़ताल पर चले गए.