मनीष पुरोहित/मंदसौरः हमारा देश त्यौहारों का देश है. हमारे त्यौहारों पर कई परंपराएं भी प्रचलित हैं. इन्हीं में से कुछ परंपराएं ऐसी हैं जिनमें आस्था के नाम पर अंधविश्वास भारी है. ऐसी ही एक परंपरा है मंदसौर के धमनार में दशहरा की. इस परंपरा में लोग रावण की नाक पर मुक्का मारने के लिए एक दूसरे पर जलते उपले फेंकते हैं. जिसमें जान का जोखिम भी रहता है. वहीं इस पूरे आयोजन के दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है. 


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जलते उपलों से होता है युद्ध
देशभर में दशहरा पर्व मनाने की अलग-अलग परंपराएं हैं. कहीं रावण का वध किया जाता है तो कहीं जलाया जाता है. कुछ जगहों पर रावण की पूजा भी होती है लेकिन मंदसौर के धमनार में दशहरा पर्व मनाने की अनोखी परंपरा है. यहां लोग दो हिस्सों में बंटकर एक दूसरे पर जलते उपले फेंकते हैं. जिससे दुर्घटना का खतरा बना रहता है. 


दरअसल धमनार के दशहरे में रावण वध से पहले राम और रावण की सेना में युद्ध होता है. दोनों सेनाएं एक दूसरे पर हमला करती हैं और हमले में जलते हुए उपले, बांस की बनी पुरानी टोकरियां आदि एकदूसरे पर फेंके जाते हैं. काफी देर तक यह युद्ध चलता है.


रावण को मुक्का मारने के लिए होता है युद्ध
इस दशहरा आयोजन में राम की सेना का लक्ष्य होता है कि वह रावण की नाक पर मुक्का मारे लेकिन राम की सेना को रोकने के लिए रावण की सेना पूरा जोर लगाती है. इस दौरान ऐसी खींचतान होती है कि देखते बनती है. आखिरकार सत्य की जीत होती है और राम के सैनिक रावण की नाक पर मुक्का मारने में सफल हो जाते हैं. माना जाता है कि राम के सैनिक रावण की नाक पर मुक्का मारकर उसके अहंकार का वध कर देते हैं. 


दशहरा मेले के आयोजन के दौरान भारी पुलिस बल तैनात रहता है लेकिन सालों से चली आ रही परंपरा में पुलिसकर्मी कोई दखल नहीं देते और पुलिस की मौजूदगी में लोग एक दूसरे पर जलते उपले फेंकते हैं और पुलिसकर्मी मूकदर्शक बने रहते हैं. बड़ी संख्या में लोग इस आयोजन को देखने आते हैं.