वासु चौरे/भोपाल: प्रदेश के स्कूलों में हिजाब बैन करने की बात पर मुस्लिम समाज विरोध में उतर आया है. वो सरकार के ऐसे किसी फैसले का पुरजोर विरोध करने की बात कह रहे हैं. मुस्लिम धर्मगुरू इसी अपना धर्मिक और संवैधानिक अधिकार बता रहे हैं. उन्होंने कहा सरकार कोई ऐसा फैसला नहीं कर सकती जो किसी भी धर्म के खिलाफ हो.


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विरोध में आया मुस्लिम समाज
ऑल इंडिया मुस्लिम त्यौहार कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर औसाफ शाहमीर खुर्रम ने कहा कि हर मजहब की अपनी परंपराएं निभाने का अधिकार है. चोहे वो चाहे हिंदू, मुस्लिम या फिर पंजाबी क्यों न हो. परंपराओं के विरुद्ध जाकर सरकार कोई भी निर्णय करेगी तो हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे. हिजाब इसलिए लगाया जाता है क्योंकि महिलाओं की बेपर्दगी न हो. यह हमारा संवैधानिक अधिकार है कि कौन क्या पहनेगा.


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शिक्षा मंत्री ने क्या कहा था
स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि था कि 'हिजाब यूनिफॉर्म कोड का हिस्सा नहीं है, इसलिए अगर कोई पहनकर स्कूल में आता है, तो उस पर प्रतिबंध लगेगा. प्रदेश के सभी स्कूलों में एक ही ड्रेस कोड लागू होगा. जिसका पालन सभी विद्यार्थियों को करना होगा. सभी विद्यार्थियों में समानता का भाव रहे अनुशासन रहे यह हमारी कोशिश है. क्योंकि गणवेश से स्कूल की पहचान होती है.'


कर्नाटक में जारी है विवाद
कर्नाटक में हिजाब पर विवाद जारी है, इस विवाद की शुरुआत 1 जनवरी को हुई थी. कर्नाटक के उडुप्पी में 6 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने की वजह से कॉलेज के क्लास रूम में बैठने से मना कर दिया गया था. जिसके के खिलाफ उन्होंने वहीं धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया था. कॉलेज मैनेजमेंट का कहना था कि ये यूनिफॉर्म पॉलिसी के खिलाफ है. जबकि हिजाब पहनने वाली लड़कियों का कहना है कि हिजाब पहनने की इजाजत न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके बुनियादी हुकूक के खिलाफ है. जिसके बाद कई मुस्लिम छात्राओं ने हाई कोर्ट में अर्जी लगाई है.


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