400 साल पुराने पेड़ के देवता बनने की कहानी, लोग बोले- करता है सारी परेशानी दूर!
आज पर्यावरण दिवस के इस खास दिन पर हम आपको एक ऐसे पेड़ के बारे में बताने जा रहें हैं जो चार सौ सालो से अडिग होकर खड़ा हुआ है. इस पेड़ का आंधी तूफान भी कुछ नहीं बिगड़ सका.बता दें ये पेड़ धमतरी के दुगली गांव में है,जिसे सरई नाम से जाना जाता है.आज लोग इस पेड़ को कुदरत का करिश्मा मानते हैं और इसे देव के रूप मे पूजते हैं .
नई दिल्लीः मानें तो सब कुछ है इस दुनिया में अगर ना मानें तो कुछ भी नहीं है. हम ऐसा इसलिए कह रहें है क्योंकि जो बात हम आपको बताने जा रहें हैं उसे सुन शायद आपको यकीन ना हो लेकिन ये सच है.दरअसल आज पर्यावरण दिवस के इस खास दिन पर हम आपको एक ऐसे पेड़ के बारे में बताने जा रहें हैं जो चार सौ सालो से अडिग होकर खड़ा हुआ है.इस पेड़ का आंधी तूफान भी कुछ नहीं बिगड़ सका.बता दें ये पेड़ धमतरी के दुगली गांव में है,जिसे सरई नाम से जाना जाता है.आज लोग इस पेड़ को कुदरत का करिश्मा मानते हैं और इसे देव के रूप मे पूजते हैं .इतना ही नहीं वन विभाग भी पेड़ को वन धरोहर का दर्जा दिलाने की कोशिशों में जुटा है.आइए जानते हैं इस पेड़ का इतिहास और इसकी खासियत. बता दें कि यह प्रदेश का दूसरा सबसे पुराना पेड़ है.
400 साल पुराना सरई बाबा का पेड़: धमतरी से 50 किलोमीटर की दुरी पर दुगली गांव के जंगलों के बीच में मौजूद है ये खास किस्म का सरई पेड़.सबसे दिलचस्प बात ये है कि चार सौ सावन देख चुका यहा दरख्त सेहत से आज भी दुरुस्त नजर आता है और लोगो को साफ हवा के साथ फल भी दे रहा है.लोगों का कहना है कि पहले पूर्वज के लोग भूख लगने पर सरई के फल और महुआ के फल को पका कर खाते थे जिससे उनकी भूख शांत हो जाया करती थी और सरई के फल में कई लाभकारी गुण होते है.शायद यही कारण है कि इस दरख्त की खासियतों के चलते लोग इसे सरई बाबा के नाम से पुकारते हैं और इसकी इबादत करते है.गांव के निवासी इस पेड़ की रख रखाव मे कोई कसर नहीं छोर रहें हैं. बता दें रोजाना वन विभाग के मुलाजिम दरख्त की निगरानी करते हैं. जिसका नतीजा ये है कि आज तक कोई भी इस पेड़ पर कुल्हाड़ी चलाने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाया है.
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पेड़ की खासियत : महकमे के अफसरों की माने तो इस पेड़ की लम्बाई और मोटाई ही इसकी उम्र बताते हैं. उनके मुताबिक इस पेड़ की लम्बाई 45 मीटर और गोलाई 446 सेंमी है.अफसर इसे मदर ट्री भी बता रहे है. साथ ही साथ इसे वन धरोहर का दर्जा दिलवाने में शासन को प्रस्ताव भेज देने की बात कह रहें हैं.इस पेड़ को लेकर पूर्वज मानते हैं कि लोगो को अगर कोई परेशानी या तकलीफ होती है तो इस सरई बाबा के साथ साझा करते हैं, जिससे लोगो के सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं.आलम ये है कि घर मे शादी ब्याह ,जन्मोत्सव और कोई भी नया कार्य शुरू करने से पहले आस - पास के लोग इसकी पूजा आराधना करने के बाद ही शुभ कार्य की शुरूआत करते है. जिसके चलते लोग दूर दराज से इस पेड़ को देखने आते हैं और पूजा पाठ करके मनोकामना मांगते है.बता दे कि जिले के वन विभाग ने लोगों को इस सरई के पेड़ की खासियत बताने के लिए बकायदा एलबम भी बनाया है, जिसमें इस पेड़ की उपलब्धि बताया गया है.
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