गुस्से में किसान ने लहसुन तालाब में फेंका, मंडी तक ले जाने का किराया भी नहीं मिल रहा
लहसुन की फसल के सही दाम ने मिलने से नाराज एक किसान ने फसल को गांव के तालाब में फेंक दिया. इसके जरिए वे सरकार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं. उनका कहना है कि लागत तो दूर अभी जो दाम मिल रहे है इसमें मंडी तक फसल ले जाने का भाड़ा भी नहीं निकल पा रहा है.
मनीष पुरोहित/ मंदसौर: फसल के उचित दाम नहीं मिलने से नाराज एक किसान ने खुद अपनी ही फसल को तालाब में फेंक दिया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. किसानों का कहना है कि लागत तो दूर की कौड़ी है, हमें मंडी तक आने-जाने का किराया भी नहीं मिल पा रहा है. इसी को लेकर मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के कई किसान सरकार से नाराज हैं.
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
लहसुन की फसल के सही दाम न मिलने से नाराज मंदसौर जिले के ग्राम बनी के रहने वाले किसान मदन धाकड़ ने अपनी लहसुन की फसल को गांव के तालाब में फेंक दिया. किसान मदन धाकड़ ने बताया कि बड़ी उम्मीदों के साथ उन्होंंंने अपने खेतों में लहसुन की फसल को लगाया था. प्रति बीघा तकरीबन 35 से 40 हजार रुपए की लागत आई. फसल की भी बंपर पैदावार हुई. एक बीघा में 10 क्विंटल लहसुन उगी. उम्मीद थी कि फसल के अच्छे दाम मिलेंगे तो परिवार के लिए खर्च कर पाएंगे, लेकिन लागत तो दूर अभी जो दाम मिल रहे है इसमें मंडी तक फसल ले जाने का भाड़ा भी नहीं निकल पा रहा है. इसी से नाराज होकर उन्होंने 20 बोरी लहसुन को तालाब में फेंक दिया. इसके जरिए वे सरकार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं. ताकि जिम्मेदार उन जैसे किसानों की सुध लें और किसानों को फसल के उचित दाम मिल पाए.
लागत भी नहीं मिल रही
इन दिनों मंदसौर कृषि उपज मंडी में लहसुन की बंपर आवक है. मांग से ज्यादा लहसुन आने की वजह से लहसुन के दामों में भारी गिरावट दर्ज की गई है. दावा किया जा रहा है की लहसुन मंडी में 500 रुपये क्विंटल से लेकर 5000 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रही है. लेकिन जमीनी हालात कुछ और हैं. किसानों को अपनी फसल की कीमत सिर्फ 200 रुपए से लेकर 1000 रुपए प्रति क्विंटल मिल पा रही हैं. यानी मांग का सिर्फ 20 % जो बहुत कम है. ऐसे में कई किसानों को लागत तो दूर मंडी तक आने जाने का किराया तक नहीं मिल पा रहा है.
फसल निर्यात करने की मांग
बता दें कि इससे पहले मध्य प्रदेश में किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने सरकार से मांग की थी कि बाजार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार इस उपज के निर्यात की अनुमति प्रदान करे. सरकार ने इसपर कोई फैसला नहीं लिया है.
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