महेन्द्र दुबे/दमोह: MP की सियासत में नगरीय निकाय के चुनाव सेमीफाइनल करार दिए गए तो अगले साल होने वाले फाइनल मुक़ाबले यानी विधानसभा आम चुनाव को लेकर सियासी दल तैयारियां कर रहे हैं. निसन्देह जब बात मुकाबले की हो तो एड़ी चोटी की आजमाइश हो रही है. सीएम से लेकर संगठन तक सब भाजपा को मजबूती देने शहर-शहर घूम रहे हैं, तो केंदीय मंत्री भी गली मोहल्लों में वोट मांग रहे हैं. केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल को भी गलियों की खाक छाननी पड़ रही है. पटेल वार्ड के कार्यालयों का उदघाटन कर रहे हैं तो चौपालों में जा रहे हैं.


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दरअसल पटेल के लिए उनके अपने संसदीय क्षेत्र में ये सब करना मजबूरी भी है, क्योंकि बीते एक पखवाड़े में इलाके में बड़ा बदलाव हुआ. सूबे के पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ ने भाजपा को अलविदा कहा तो जिले में इस्तीफों की झड़ी लग गई. भाजपा से दशकों से जुड़े लोगों ने अनदेखी तानाशाही जैसे आरोप लगाए और चलते बने. सिद्धार्थ साल भर से पार्टी से सस्पेंड चल रहे थे और भाजपा से नाता तोड़ने के बाद उन्होंने अपना दल बनाकर शहर के चुनाव में अपने उम्मीदवार भी उतारे हैं. सिद्धार्थ के इस कदम के बाद क्षेत्रीय सांसद और केंद्रीय मंत्री नाराज हो गए और मलैया पर खुलकर बोल रहे है. पटेल के भाषणों में साफ होता है कि 35 सालों तक लोगों ने पार्टी के नाम पर सब किया और अब ये हरकत कर रहे हैं.


उमा भारती ने भी नई पार्टियां बनाई
शहर के चुनाव में केंद्र के मंत्री की ऐसी बयानबाजी चर्चाओं में थी तो मंत्री के इस बयान पर सिद्धार्थ मलैया भी तिलमिला गए औऱ आरोप के एक तीर पर उनकी तरकश से जो तीर निकले वो प्रदेश की सियासत को हवा दे सकते है. पुराने जख्म कुरेदते हुए सिद्धार्थ मलैया प्रदेश में उमा भारती को सत्ता से बेदखल करने वाला समय याद दिला रहे हैं. जब तिरंगा यात्रा के बाद उमा भारती का इस्तीफा बाबूलाल गौर की ताजपोशी और फिर उमा भारती की जगह शिवराज सिंह चौहान को कमान सौंपी गई और उमा भारती ने अपनी पार्टी जनशक्ति पार्टी बनाई. सिद्धार्थ का आरोप है कि प्रहलाद पटेल ने उमा भारती के साथ भाजपा छोड़ी और पार्टी के साथ गलत किया था.


पीठ में छुरा घोंपा
पीठ में छुरा घोपने की बात पर सिद्धार्थ अपने पिता का 2018 का चुनाव भी बता रहे है. जिसमे जयंत मलैया को हार का सामना करना पड़ा और उसके बाद मलैया राजनीतिक हाशिये पर आ गए. सिद्धार्थ का आरोप हैं कि प्रहलाद पटेल और उनके समर्थकों ने पीठ में छुरा घोपने का काम किया. इतना ही जिले की जनता को हो रही तकलीफ के लिये भी सिद्धार्थ प्रहलाद पटेल को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं.


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बहरहाल साफ है कि कभी भाजपा और प्रहलाद पटेल के लिए वोट मांगने वाले लोग अब उनके सामने खड़े हैं. जो आरोप लग रहे हैं, वो सिर्फ दमोह ही नहीं बल्कि प्रदेश की राजनीति में चर्चा और खलबली के लिए पर्याप्त है. आपको बता दें कि सिद्धार्थ के पिता और प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं में शामिल पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया ने भाजपा नहीं छोड़ी है और वो भाजपा में ही हैं. लेकिन इन दिनों दमोह से दूरी बनाए हुए है और भोपाल में रह रहे हैं. ऐसे में जब बेटा पार्टी के लिए मुसीबत बना है. अपना अलग दल बनाये है तब पिता का मौन मायने जरूर रखता है, ऐसे में अब भाजपा का नेतृत्व क्या कदम उठाता है देखना होगा?