Ujjain Mahakal News: बीती 4 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो गया था. आज सावन का पहला सोमवार (Sawan first Monday) है. जिसके अवसर पर बाबा भोलेनाथ के दरबार में सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया है. यही आलम उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Ujjain Mahakal) में भी देखने को मिला. यहां पर बाबा की विशेष भष्मार्ती की गई और शाम में सवारी निकाली जाएगी. इसके अलावा क्या- क्या होगा जानें यहां.


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विशेष भस्मार्ती
सावन के पहले सोमवार पर उज्जैन के महाकाल कॅारिडोर पर बाबा भोलेनाथ की विशेष भस्मार्ती की गई.  जिसे देखने के लिए भक्तों का जनसैलाब बाबा भोलेनाथ के दरबार में उमड़ा. पुजारी महेश शर्मा ने बताया श्रृंगार होने के बाद भस्म से स्नान करवाया जाता है जिसे भस्मार्ती मंगला आरती कहा जाता है. जिसके बाद रजत मुकुट आभूषण, वस्त्र भगवन को अर्पण किए जाते है.  जिसके बाद भगवान दिव्य स्वरूप में निराकार से साकार रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं.  दिव्यता के साथ धूप दी जाती है फिर दीप दर्शन, नैवेद्य चढ़ाया जाता है बस फिर आरती सब लेते है और इस प्रकार  सुबह की ये प्रक्रिया समाप्त हो जाती है.


इसके अलावा बता दें कि पहली भस्मार्ती जो वंश परंपरा के पुजारी करते हैं.  जिसके बादआरती होती है जिसमें चांवल, दही, शक्कर का भोग लगता है और सामान्य पूजन और श्रृंगार होता है. जिसके बाद फिर से 10 बजे पंचमृत पूजा होती है और पूर्ण भोग भगवान को लगता है. जिसमें दाल, चांवल, सब्जी, रौती भजिए लड्डू बनते है जिसे भोग आरती कहते हैं.


 



निकाली जाएगी सवारी
महाकाल के दरबार में आज सावन के पहले सोमवार पर बाबा की सवारी निकाली जाएगी. इसे लेकर के मंदिर के पुजारी ओम शर्मा ने बताया बाबा महाकाल मंदिर में परंपरा रही है श्रावण मास की 4 या 5 सवारियां होती है और दो सवारी भाद्र पद (भादौ मास) की होती है. 


जिसमें बाबा नगर भ्रमण पर हर सोमवार भक्तों का हाल जानने शाही ठाठ बाट के साथ निकलते हैं. लेकिन इस बार अधिक मास होने से 8 सवारी श्रावण की और 2 सवारी भादौ मास की कुल 10 सवारी रहेगी. पहले सोमवार पर भगवान भक्तो को चंदमोलेश्वर व मनमहेश रूप में दर्शन दें रहे हैं. इसी प्रकार हर सोमवार को एक- एक वाहन और विग्रह के रूप में प्रतिमा बढ़ती जाएगी व कुल 10 सवारी भगवान भोलेनाथ की निकलेगी.


बता दें कि पहले सोमवार पर बाबा शाम 4 बजे फिर से भ्रमण पर निकलेंगे.


व्रत का महत्व 
सावन के महीने में शिव दर्शन करने से अनेक पापों का नाश होता है.  साथ ही साथ इस माह में जो भी भक्त शिव को जलधारा, दुग्ध धारा और बेल पत्र चढ़ाता है तो उसके तीन जन्मों के पाप का विनाश होता है और उसको अक्षुण्य पुण्य की प्राप्ति होती है. 1 बिल्व पत्र से 1 लाख तक बिल्व पत्र भगवान को अर्पण करने से कई यज्ञों का फल प्राप्त होता है. इसके अलावा बताया जाता है कि इन दिनों जितने भी व्रत आते हैं वो सती और माता पार्वती ने किए है ये व्रत दोनों ने अपने अपने समय मे शिव को मनाने और शिव को पाने के लिए किए थे.