Madhya Pradesh News In Hindi: दमोह का जिला अस्पताल अक्सर अपनी अव्यवस्थाओं के लिए चर्चा में रहता है. लेकिन इस बार जो खबर आ रही है वो न सिर्फ सबको चौंका रही है बल्कि दहशत भी पैदा कर रही है. लोगों का डरना स्वाभाविक है क्योंकि इस अस्पताल में ऑपरेशन से बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं में से पांच की मौत हो चुकी है. मरने वाली महिलाओं की डिलीवरी उसी दिन ऑपरेशन से हुई थी और जब उनकी तबीयत खराब हुई तो शिकायत भी एक ही थी. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अस्पताल पर उठे सवाल
यह पहली बार नहीं है जब दमोह जिला अस्पताल पर लापरवाही के आरोप लगे हैं. इससे पहले भी कई आरोप लग चुके हैं. वहीं जिला अस्पताल का कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति कैमरे के सामने यह सच बताने को तैयार नहीं है कि एक ही दिन किए गए ऑपरेशन के बाद महिलाओं की हालत क्यों बिगड़ी? परिजनों ने शव को सड़क पर रखकर मुख्यमंत्री मोहन यादव से कार्रवाई की गुहार लगाई है. इस मामले पर दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने इसे बड़ी लापरवाही माना है और जांच का आश्वासन दिया है.


यह भी पढ़ें: Crime News: रतलाम से गिरफ्तार हुआ दरिंदा! 3 साल की बच्ची से किया था रेप, 10 साल की सजा भी काट चुका है दुष्कर्मी


 


एक ही दिन हुआ था सभी का ऑपरेशन
दरअसल, 4 जुलाई को दमोह जिला अस्पताल के एमसीएच वार्ड में 20 महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया और इन सभी का सिजेरियन ऑपरेशन हुआ था. ऑपरेशन से बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं की शिकायत एक जैसी थी और ये शिकायतें थीं पेशाब रुकना और संक्रमण. इसके बाद पिछले 20 दिनों में एक-एक करके 5 महिलाओं की मौत हो चुकी है. मरने वाली महिलाओं में दमोह जिले के बकायन गांव की लक्ष्मी चौरसिया भी शामिल हैं. लक्ष्मी जबलपुर हाईकोर्ट में पदस्थ थीं. उन्हें नॉर्मल डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन रात तक उन्हें सिजेरियन कराने को कहा गया. ऑपरेशन हुआ, बच्चा स्वस्थ था लेकिन पांच घंटे बाद उसे दर्द हुआ और उनकी मौत हो गई.


सभी को एक जैसी समस्या
बता दें कि दमोह के हिंडोरिया निवासी निशा परवीन को पहला बच्चा होने वाला था. जब कहा गया कि ऑपरेशन होगा तो परिवार को थोड़ा दुख हुआ लेकिन जब नवजात आया तो सभी खुश हो गए. कुछ ही घंटों में निशा की हालत बिगड़ने लगी. उन्हें पेशाब रुकने की भी समस्या थी. बताया गया कि उनकी किडनी फेल हो गई है. जिसके बाद उन्हें गंभीर हालत में जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया. वहां निशा का डायलिसिस होता रहा और 18 दिन बाद निशा परवीन की भी मौत हो गई. कुछ ऐसा ही दमोह जिले के हटा निवासी हुमा खान के साथ हुआ. हुमा ने सिजेरियन ऑपरेशन से बच्चे को जन्म दिया. बच्चा स्वस्थ पैदा हुआ लेकिन हुमा को अन्य महिलाओं की तरह संक्रमण और पेशाब में समस्या थी. उन्हें भी किडनी फेल होने की जानकारी दी गई. 


इसके अलावा 4 जुलाई को दमोह जिले के पटेरा नया गांव निवासी हर्षना कोरी ने सिजेरियन ऑपरेशन से अपने पहले बच्चे को जन्म दिया था. हर्षना की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जिला अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था. महिला ज्यादा देर तक जिंदगी की जंग नहीं लड़ सकी और 5 तारीख की सुबह होने से पहले ही उसकी मौत हो गई. इसके अलावा जबलपुर में इलाज के दौरान एक और महिला की मौत की खबर है.


रिपोर्ट- महेंद्र दुबे