Ganesh Chaturthi 2022: शिव-पार्वती के विवाह में कैसे हुई थी गणेश पूजा, जानिए क्या कहता है पुराण?
Ganesh Chaturthi 2022: आज से 10 दिवसीय गणेश महोत्सव की शुरुआत हो गई है. ऐसी मान्यता है कि आज के दिन ही विघ्नहरणकर्ता भगवान गणेश का जन्म हुआ था. मान्यता है कि बिना गणपति भगवान की पूजा के शादी-विवाह की रश्म अधूरी रह जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि जब भगवान गणेश शिव जी के पुत्र हैं तो शिव-पार्वती के विवाह में उनकी पूजा कैसे की गई?
Ganesh Chaturthi 2022: हिंदू धर्म में शादी-विवाह करने से पहले भगवान गणपति की पूजा की जाती है. माना जाता है कि बिना गणपति पूजन के विवाह अधूरा रह जाता है. भगवान गणपति के पूजा का ये नियम आज से ही नहीं अपितु अनादि काल यानी ऋषि मुनियों के जवाने से चली आ रही है. इतना ही नहीं भगवान शिव-पार्वती के विवाह में भी भगवान गणपति के पूजा का पुराणों में उल्लेख मिलता है. अब सवाल ये उठता है कि भगवान गणेश का जन्म तो शिव-पार्वती के विवाह के बाद हुआ था तो आखिर उनके विवाह में गणेश जी का पूजन कैसे हुआ? जी हां आपके मन में बिल्कुल ठीक सवाल उठ रहा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि शिव-पार्वती ने अपने विवाह में कैसे गणेश जी का पूजन किया था?
पुराणों में मिलता है शिव-पार्वती विवाह में गणपति पूजा का उल्लेख
शिव-पार्वती के विवाह में गणेश जी की पूजा करने के संबंध में शिवपुराण, ब्रम्हवैवर्त पुराण, लिंग पुराण, स्कंद पुराण, पद्म पुराण, गणेश पुराण, मुद्रल पुराण इत्यादि ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है. कुछ लोग वेद और पुराण के विवरण को न समझ पाने की वजह से शंका करते हैं कि गणेश जी का यदि शिव-पार्वती के माध्यम से अवतार हुआ है तो फिर इनका पूजन कैसे किया? इस शंका का समाधान करते हुए गौस्वामी तुलसीदास जी ने इस दोहे में किया है..
' मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभु भवानि.
कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जानि'..
अर्थात भगवान गणपति किसी के संतान नहीं हैं. वे अज, अनादि व अनंत हैं. भगवान शिव के पुत्र गणेश गणपति के अवतार हैं. इसका उल्लेख पुराणों में गणेश न होकर गणपति या ब्रम्हणस्पति है. इसलिए कोई व्यक्ति संशय न करें क्योंकि गणपति अनादि हैं और शिव-पार्वती के विवाह के समय ब्रम्हवेला में मुनियों के निर्देश पर शिव-पार्वती ने गणपति की पूजा की.
भगवान शिव ने की थी आराधना
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने महागणपति की आराधना की थी, जिस पर भगवान गणपति ने प्रसन्न होकर उनसे वरदान मांगने को कहा, तब भगवान शंकर ने उन्हें अपने पुत्र के रूप में अवतार लेने के वर मांगा, जिसके बाद भगवान महागणपति शिव-पार्वती के पुत्र के रूप में अवतरित हुए.
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मांगलिक कार्यों के पहले की जाती है गणेश जी की आराधना
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस-प्रकार भगवान विष्णु के राम, कृष्ण और वामन जैसे अनेक अवतार हैं. उसी प्रकार गणेश जी भी महागणपति के अवतार हैं. भगवान गणपति की आराधना किसी भी मांगलिक कार्य के लिए किया जाता है. मान्यता है कि भगवान गणपति की आराधना से हमारे मांगलिक कार्यों में कोई व्यधान नहीं उत्पन्न होता है.
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गणेशोत्सव पर करें गणेश जी की पूजा
आज से यानी 31 अगस्त से गणेश महोत्सव की शुरुआत हो गई है. ऐसे में आज विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा विधि विधान से करते हैं तो घर में सुख सौभाग्य आता है. आज गणेश जी की प्रतिमा पर गंगा जल छिड़क कर दुर्वा चढ़ाएं और उनकी प्रतिमा के दोनों तरफ सुपाड़ी चढ़ाएं. मुर्ति के दाईं तरफ कलश रखें. इसके बाद गणपति की आराधना करते हुए 'ऊं गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करें. मान्यता है कि गणेश जी की पूजा करने से हमारे घर में हमेशा खुशहाली बरकरार रहती है.
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(DISCLAIMER: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. ZEE MEDIA इसकी पुष्टि नहीं करता है.)