Lord Ganesha Trunk Worship: गणेश चतुर्थी के दिन से शुरू हुए गणेशोत्सव का पर्व आज जानी अनंत चतुर्थी को समाप्त हो जाएगा. जो लोग भी अपने घर पर या पंडाल में गणपति की स्थापना किए होंगे, आज उनका विसर्जन कर देंगे. इसके बाद बप्पा की आराधना घर के पूजा रूम में की जाएगी. गणेश जी को प्रथम पूज्य व मंगलकारी कहा गया है, क्योंकि हिंदू धर्म में कोई भी शुभ अथवा मांगलिक कार्य बिना गणपति पूजा के वर्जित मांगे गए हैं. भगवान गणेश का रूप लंबोदर पेट, बड़े-बड़े कान, एकदंत और बड़ा सा सिर वाला अद्भुत है. लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि भगवान गणपति की प्रतिमा में उनका सूंड दाईं और बाईं दोनों तरफ देखने को मिलता है. चलिए जानते हैं घर में कौन से सूंड वाली गणेश की प्रतिमा रखना शुभ होता है और कौन सा अशुभ?


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बाईं सूंड वाली गणेश की प्रतिमा
गणेश जी की जिस प्रतिमा में उनके सूंड का अग्रभाव बाईं तरफ हो, उसे वाममुखी कहा जाता है. बाईं तरफ सूंड वाली गणपति की पूजा करने से घर में सुख-शांति व समृद्धि आती है. ऐसी प्रतिमा रखने से शिक्षा, धन प्राप्ति, व्यवसाय में उन्नति, विवाह, संतान और घर की उन्नति होती है. बाईं तरफ सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा से घर में वास्तु दोष नहीं लगता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. मान्यता है कि बाईं तरफ सूंड वाली गणेश की पूजा करने से वे शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और हमारे गलतियों को माफ कर देते हैं. साथ ही सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.


दाईं सूंड वाली गणेश की प्रतिमा
दाईं तरफ मूर्ति वाले गणेश जी प्रतिमा को सिद्धिविनायक गणेश जी कहा जाता है. यह काफी शक्तिशाली होते हैं. लेकिन दाईं तरफ मूड़े सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा रखते वक्त कई नियमों का पालन करना जरुरी होता है. इस मूर्ति की पूजा करते वक्त क्रमकाडांगर्त पूजा नियमों का पालन जरूरी होता है. साथ ही इस प्रतिमा की पूजा पूरोहितों से करानी चाहिए. मान्यता है कि इनके पूजा में यदि जरा भी भूल हुई तो गणेश जी रुष्ट हो जाते हैं और हमे इसका दुष्प्रभाव झेलना पड़ता है. ऐसे में दाईं सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा घर में रखकर उनकी पूजा नियमों का पालन करना संभव नहीं है. इसलिए दाईं सूंड वाली गणेश जी की प्रतिमा तभी स्थापित करें जब इनके नियमों का पालन कर पाएं.


घर में न रखें ऐसी गणेश की प्रतिमा
गणपति को विघ्नकर्ता और विघ्नहर्ता दोनों कहा गया है. ऐसे में घर पर गणेश जी की प्रतिमा रखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गणेश जी की मूर्ति खंडित न हो जाए या मूर्ति कलर न छोड़ने लगे. अगर ऐसा हो तो घर में तुरंत नई प्रतिमा लाकर स्थापित करें और पूरानी प्रतिमा को नदी के बहते जल में प्रवाहित कर दें. गणेश जी की प्रतिमा इस दिशा में न रखें, जिसमें गणेश जी घर से बाहर देख रहे हों और गणेश जी का पीठ घर की तरफ हो एसा करने से घर में दरिद्रता आती है. गणेश जी की प्रतिमा गलति से भी दक्षिण और दक्षिण पश्चिम कोण में नहीं रखना चाहिए. इस दिशा में गणेश जी की प्रतिमा रखने से वास्तु दोष लगता है.


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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)