Govardhan Puja Date 2022: हर साल दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है. इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पूजा की थी और इंद्र देवता अहंकार तोड़ा था. गोवर्धन पूजा का चलन आज से नहीं बल्कि श्री कृष्णा के द्वापरयुग से चला आ रहा है. श्री कृष्ण को गायों और बछड़ो से बहुत प्रेम था. उस समय गोकुलवासी इंद्रदेव की पूजा करते थे. कृष्णा ने तर्क करते हुए कहा की इंद्रदेव हमारे पालनहार नहीं है, बल्कि गोवर्धन पर्वत है. क्योंकि यहीं ग्वालों के गायों को चारा मिलता है, जिनसे लोग दूध, घी, मक्खन बनाते हैं. 


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क्यों गोबर से बनाया जाता है पर्वत 
श्री कृष्णा गायों की खूब सेवा किया करते थे. वह उनसे बहुत प्यार करते थे. गाय का गोबर अत्यंत पवित्र माना जाता है. इसलिए गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से पर्वत का आकर बनाया जाता है. इसके चारों कोनों में करवा की सींकें लगाईं जाती हैं और इसके अंदर कई अन्य आकृतियां भी बनाई जाती हैं. जिसकी इस दिन पूजा की जाती है. गोवर्धन पर्वत की इस गोबर से बनाई गई प्रतिमा को गोवर्धन बाबा के रूप में स्थापित किया जाता है. कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को त्योहार मनाया जाता है. माना जाता है जो भी इस दिन श्रद्धा पूर्वक गाय के गोबर से बने पर्वत की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 


कैसे बनाएं गोवर्धन पर्वत 
गाय का या भैंस  का गोबर लेलें. आप एक छड़ी की मदद से आंख, नाक बनाकर किसी चेहरे का आकर दे दें. गोवर्धन पर्वत की गोबर संरचना सूखने के बाद आप उसे मुकुट, कपड़े पहनाकर सजा सकते हैं. गाय का या भैंस  का गोबर लेलें. आप एक छड़ी की मदद से आंख, नाक बनाकर किसी चेहरे का आकर दे दें. गोवर्धन पर्वत की गोबर संरचना सूखने के बाद आप उसे मुकुट, कपड़े पहनाकर सजा सकते हैं. पर्वत के चारों ओर आप रंग बिरंगे फूलों से दे . आप चाहें तो मोर पंख का भी इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि हम कृष्णा जी की पूजा करते हैं. गोवर्धन के माथे पर सफेद और पीले रंग की बिंदी या माथे पर तिलक लगा कर सजा सकते हैं. गोबर पर खील, बताशे और शक्कर के खिलौने चढ़ाएं और इसके बाद शाम को इनके सामने दीपक जलाएं. 


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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)