शैलेंद्र सिंह भदौरिया/ग्वालियरः नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के लिए बागी परेशानी बने हुए हैं. दोनों ही पार्टियों द्वारा या तो बागियों को मनाने की कोशिश की जा रही है या फिर पार्टी द्वारा उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. वहीं ग्वालियर में बीजेपी के लिए अजीब स्थिति बनी हुई है. दरअसल ग्वालियर में बागी खुलेआम पार्टी संगठन को चुनौती दे रहे हैं लेकिन बीजेपी उनके खिलाफ कार्रवाई से बच रही है.  


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बड़े क्षत्रपों के समर्थक बने परेशानी
ग्वालियर निकाय चुनाव के लिए कई बीजेपी नेताओं ने निर्दलीय ताल ठोक दी है. पार्टी द्वारा उन्हें मनाने की कोशिश की गई लेकिन कई बागी अभी भी मैदान में डटे हुए हैं लेकिन हैरानी की बात है कि इन बागियों को पार्टी ने अभी तक पार्टी से निष्कासित नहीं किया है. दरअसल इसकी वजह ये है कि ये बागी नेता पार्टी के बड़े नेताओं के समर्थक हैं. ऐसे में पार्टी इन पर कार्रवाई को लेकर असमंजस की स्थिति में दिखाई दे रही है. 


ग्वालियर में बीजेपी से बगावत कर 18 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. ग्वालियर कांग्रेस में भी बगावत देखने को मिली थी लेकिन कांग्रेस ने कड़ा रुख अपनाते हुए 12 बागियों को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है. यही वजह है कि बीजेपी द्वारा बागियों पर कार्रवाई ना करने को लेकर कांग्रेस ने चुटकी ली है.कांग्रेस नेता आरपी सिंह का कहना है कि बीजेपी कैडर बेस पार्टी होने का दावा करती है लेकिन सिंधिया और नरेंद्र तोमर के समर्थक खुलेआम बगावत कर रहे हैं लेकिन पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है.


कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने सफाई दी है. बीजेपी प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी का कहना है कि अधिकांश बागियों को पहले ही मना लिया गया था और जो अभी भी मैदान में हैं, उन्होंने भी संगठन के अधिकृत प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने की बात कही है. अगर उन नेताओं ने ऐसा नहीं किया तो पार्टी निश्चित तौर पर उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी.