Hindi Diwas Special: हमारे देश में हिंदी बोलने, लिखने और पढ़ने वालों की संख्या सबसे ज्यादा हैं, लेकिन आज के इस बढ़ते युग में लोगों ने हिंदी की बिंदी को ही गायब कर दिया है. साहित्यकारों की मानें तो जैसे एक औरत का श्रृंगार बिना बिंदी के अधूरा होता है, वैसे ही बिना बिंदी के हिंदी का श्रृंगार अधूरा माना जाता है. हिंदी सभी भारतीयों के दिल के सबसे करीब है. बावजूद इसके हमें हिंदी में सबसे अधिक अशुद्धता मिलती हैं. 14 सितंबर यानी हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी में होने वाली कुछ ऐसी गलतियों के बारे में हम आपको बता रहे हैं. जिससे हिंदी का अर्थ ही कुछ और हो जाता है. 


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हिंदी के बिंदी से होता है अर्थ का अनर्थ
भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी को आज के इस मॉर्डन जमाने के लोगों ने इंग्लिश मिलाकर हिंग्लिश कर दिया है. जिसके चलते हिंदी में बहुत गलतियां पाई जाती हैं. आज हम हिंदी के नाम पर बिंदी गायब करते जा रहे हैं. पहले हिंदी में आधे 'म' के लिए 'गोल' और आधे 'न' के लिए 'चौकोर' बिंदी हुआ करती थी. चंद्र बिंदु भी हुआ करता था. लेकिन आज लोग सारे बिंदी को एक कर दिए हैं. इसके चलते अर्थ का अनर्थ तो हो ही रहा है साथ ही उच्चारण भी अशुद्ध होता जा रहा है. 


हिंदी के गलती पर नहीं होता अफसोस
अधिकत्तर लोग सोशल मीडिया पर अशुद्ध हिंदी लिखकर पोस्ट करते रहते हैं. इतना ही नहीं इनके पोस्ट पर कमेंट करने वाले लोग भी उसी अंदाज में कमेंट करते हैं. ये बात अलग है कि इसको समझने वाले भाव को समझ लेते हैं. लेकिन यदि शुद्ध उच्चारण निकाला जाए तो अर्थ का अनर्थ ही निकलेगा. खास बात ये कि हिंदी की इन गलतियों पर जरा भी किसी को अफसोस नहीं होता है. जबकि वहीं यदि हम अंग्रेजी की स्पेलिंग में जरा भी गलती करते हैं तो लोग हमे गंवार कहने से नहीं चुकते हैं. 


हिंदी का करें सम्मान
हिंदी हमारी समृद्धि भाषा है. इसका सम्मान होना चाहिए. हिंदी के सम्मान के लिए चाहिए की हम सभी इसकी मात्रा की अशुद्धता पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि हमारी मातृभाषा हिंदी है और बिना मातृभाषा के समाज की तरक्की संभव नहीं है. भारतेंदु हरिश्चंद्र ने हिंदी भाषा के सम्मान में लिखा है कि-
 'निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटन न हिय के सूल'


हिंदी दिवस विशेष 
हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को दे दिया था. जिसके बाद हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत 14 सिंतबर 1953 से हुई. हिंदी की पहली फिल्म मदर इंडिया है. हिंदी भाषा को गूगल ने सबसे पहले अपने सर्च इंजन पर साल 2009 में लिया था. हिंदी में वेब ए़ड्रेस बनाने की सुविधा 2010 में हुई.


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