रंजीत बारठ/ जांजगीर चांपा:  आज हम आपको शिवनारायण मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. शबरी और नारायण के अटूट प्रेम के कारण इस स्थान का नाम शिवरीनारायण पड़ा. आज भी लोग माता शबरी के राम के प्रति स्नेह को याद करते हुए सीता राम कहकर एक-दूसरे से अभिवादन करते हैं. मान्यता है कि माता शबरी भील राजा की पुत्री थीं. शबरी के विवाह में बारात में भेड़ बकरी का मांस परोसे जाने से नाराज होकर माता शबरी अपना घर छोड़कर राम भक्ति में लीन हो गई. इस स्थान में एक अक्षय कृष्ण वट है, जहां पत्ते में शबरी माता ने राम जी को अपने जूठे बेर खिलाए थे.


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जांजगीर चांपा जिले के नवागढ़ ब्लॉक में महानदी, जोक नदी और शिवनाथ नदी के त्रिवेणी संगम में बसा शिवरीनारायण का धार्मिक महत्व आज भी है. तीन नदियों के संगम के कारण शिवरीनारायण को गुप्त प्रयाग भी कहते हैं. आस्था, प्रेम और विश्वास की नगरी को माता शबरी और राम चंद्र के जूठे बेर खिलाने से भी जोड़ कर देखा जाता है.


नर नारायण मंदिर की महिमा 
धार्मिक नगरी शिवरीनारायण प्राचीन मंदिरों में से एक है. यहां नर नारायण भगवान के मंदिर को बड़ा मंदिर के नाम से जाना जाता है. वहीं मंदिर के सामने माता शबरी का प्राचीन मंदिर विद्यमान है, जहां लोग आस्था के साथ आते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए दर्शन करते हैं. मठ मंदिर के मुख्तियार सुखराम दास जी बताते हैं कि, राम लक्ष्मण का वनवास का कुछ समय शिवरीनारायण में बीता है. इसी स्थान में माता शबरी ने अपने जूठे बेर राम चंद्र जी को खिलाए थे. यहां मंदिर के सामने अक्षय कृष्ण वट वृक्ष है, जिसका हर पत्ता दोना आकृति में बना है. मान्यता है कि, इसी दोने में माता शबरी ने अपने जूठे बेर राम चंद्र जी को खिलाए थे. 


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द्वापर से त्रेता तक शबरी ने की प्रतीक्षा  
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण ने जिस कुबड़ी महिला को मथुरा में सुंदरी कहकर आवाज लगाई थी और उसे कुबड़ से मुक्ति दिलाई थी. उसी देव कन्या ने अपना प्रेम प्रकट करने के लिए कृष्ण जी से फिर मिलने की इच्छा जताई थी. जिसे भगवान कृष्ण ने राम अवतार में मिलने का वादा किया था. त्रेता युग में माता शबरी अपने अंत काल तक राम का इंतजार करती रही और राम वन गमन में माता शबरी ने अपने जूठे बेर खिलाए. राम के प्रति माता शबरी की आस्था, राम के प्रति प्रेम और समर्पण का भाव राम के आने का विश्वास और इंतजार आज भी यहां देखा जाता है.


यही है भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान 
शिवरीनारायण में हर साल माघी पूर्णिमा से 15 दिनों का मेला लगता है. मान्यताओं के अनुसार भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान यही है. माघी पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ अपने मूल स्थान आते हैं, जिसके कारण भगवान नर नारायण के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. लोगों की भीड़ और उत्साह को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ शासन ने 3 दिनों तक शबरी महोत्सव का आयोजन किया है. साथ ही महानदी के घाट को सुन्दर बनाने का काम भी शुरू कर दिया है. शासन राम वन पथ गमन के प्रथम चरण में शामिल कर शिवरीनारायण को पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा दे रही है. प्रथम चरण का काम करीब-करीब पूर्ण हो चुका है.


राम वन गमन पर्यटन परिपथ योजना का तेजी से हो रहा विस्तार
छत्तीसगढ़ सरकार की राम वन गमन पर्यटन परिपथ योजना का तेजी से विस्तार हो रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत 51 स्थानों का चयन किया गया है, जहां चरणबद्ध काम चल रहे हैं. पहले और दूसरे चरण के तहत राजधानी रायपुर के चंदखुरी में स्थित कौशल्या माता मंदिर और जांजगीर में स्थित शिवरीनारायण समेत 9 जगहों पर काम लगभग पूरा हो गया है. छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ का असर भी दिखना शुरू हो गया है. इन स्थलों में पर्यटकों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. वहीं यहां के मंदिरों के खजाने में भी 10 गुना वृद्धि हुई है.


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क्या है राम वनगमन पथ? 
छत्तीसगढ़ सरकार की ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक राम वन गमन पथ है. इसमें उन जगहों को विकसित किया जा रहा है, जहां मान्यता है कि, भगवान राम ने वनवास का वक्त बिताया. इसी के तहत कोरिया जिले से सुकमा तक राम वन गमन पथ में लोगों को कदम कदम पर भगवान श्री राम के दर्शन होंगे. राम वन गमन पथ की कुल लंबाई लगभग 2260 किलोमीटर है. इन रास्तों पर किनारे जगह- जगह साइन बोर्ड, श्री राम के वनवास से जुड़ी कथाएं देखने और सुनने को मिलेंगी. इन रास्तों पर कई तरह के पेड़ लगाए जा रहे हैं. यह पेड़ वैसा ही फील कराएंगे जैसा भगवान राम के वनवास के वक्त को लेकर यादें लोगों के जेहन में हैं. 135 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजना का कार्य तेजी से चल रहा है. वहीं माता कौशिल्या मंदिर का डेवलपमेंट करने के लिए करोड़ों रुपए की योजना तैयार की गई है.


कौशिल्या माता मंदिर का बदला स्वरुप
छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ के तहत 51 स्थल चुने गए हैं. इन स्थलों पर प्रभु राम ने भ्रमण के दौरान कुछ समय व्यतीत किए. प्रदेश सरकार ने प्रथम चरण के लिए नौ स्थान चुने गए हैं. इनमें सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अंबिकापुर), शिवरी नारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-साऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) शामिल हैं.