Independence Day 2023: 15 अगस्त 1947  जब हमारा देश ब्रिटिश हुकुमत से आजाद हुआ और आज इस आजादी को 76 साल हो चुके हैं. यानि हम आज आजादी की 76वीं वर्षगांठ मना रहा हैं. लेकिन, क्या आपको पता है कि हमारे देश का एक ऐसा राज्य है जो इस आजाद देश का हिस्सा रहकर भी आजाद नहीं हुआ था. हम बात कर रहे हैं  आज के मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की. देश को आजादी मिलने के लगभग 22 महीने बाद यानि 1 जून 1949 को आजादी मिली. क्या है 'आजाद भोपाल' की कहानी आइए जानते हैं.


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नवाब हमीदुल्लाह ने किया था विरोध
1947 यानी जब भारत को आजादी मिली तब भोपाल रियासत के नवाब हमीदुल्लाह थे. हमीदुल्लाह जो नेहरू और जिन्ना के साथ ही अंग्रेजों के भी काफी अच्छे दोस्त माने जाते थे. वहीं जब भारत को आजाद करने का फैसला लिया गया. उस समय ये भी फैसला लिया गया कि पूरे देश से राजकीय शासन भी हटा लिया जाएगा. लेकिन, नवाब हमीदुल्लाह भारत में विलय के पक्ष में नहीं थे. क्योंकि वो भोपाल पर शासन करने की चाह रखते थे.



हुई स्वतंत्र रहने की घोषणा
मार्च 1948 में नवाब हमीदुल्लाह ने अपनी रियासत को स्वतंत्र रहने की घोषणा कर दी और मई 1948 में भोपाल सरकार का एक मंत्रिमंडल घोषित कर दिया. लेकिन, तब तक भोपाल रियासत में विद्रोह की चिंगारी भड़क उठी थी.  जिसके बाद ही सरदार वल्लभ भाई पटेल की सख्ती काम आई.


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सरदार पटेल की सख्ती आई काम
दरअसल, भोपाल में चल रहे बवाल पर आजाद भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने नवाब के पास एक संदेश भेजा और कहा कि भोपाल स्वतंत्र नहीं रह सकता है.  भोपाल को मध्यभारत का हिस्सा बनना ही होगा. इसके बाद भोपाल में विरोध-प्रदर्शन का दौर शुरू हुआ और करीब तीन महीने तक जमकर आंदोलन का दौर चला.



30 अप्रैल 1949 को आजाद हुआ भोपाल
आखिरकार नवाब हमीदुल्ला ने 30 अप्रैल 1949 को अपने घुटने टेक दिए और विलीनीकरण के पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए. तो इस तरह से भोपाल को आजादी दिलाने के लिए देश की सरकार को ढाई साल तक संघर्ष करना पड़ा और 1 जून 1949 को भोपाल को आजादी मिली. इस तरह से भारत के आजादी के बाद भी भारत में विलय यानी आजाद होने वाली आखिरी रियासत भोपाल बन गई.