Green Bond Indore: नंबर वन क्लीन सिटी (Indore clean city) के नाम से मशहूर इंदौर और सफाई के मामले में 6 बार अवार्ड हासिल करने वाले इंदौर की झोली में एक और खिताब आने वाला है. दरअसल इंदौर ग्रीन सिटी (Indore green city) बनने जा रहा है. क्योंकि इंदौर ने कार्बन उत्सर्जन (Indore carbon emission) को जीरो करने के लिए अपनी कुर्सी की पेटी बांध ली है. अब ग्रीन सिटी के लिए पहला कदम ग्रीम बॉन्ड के जरिए आगे बढ़ा दिया है.


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ग्रीन बॉन्ड की खासियत
ग्रीन बॉन्ड की खासियत ये है कि इसमें कोई भी भागीदार बन सकता है. बॉन्ड का इश्यू प्राइस (Green Bond price) और फेस वेल्यू 1 हजार रुपये है. बॉन्ड में कम से कम 10 हजार रुपये का निवेश करना ही होगा. इंदौर नगर निगम को इससे उम्मीद है कि ग्रीन बॉन्ड से नगर निगम को 250 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. आम जनता के लिए आज से बॉन्ड जारी कर दिया जाएगा, और 14 फरवरी को बंद होगा.


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300 करोड़ रुपये मिले 
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नगर निगम ने सुबह 10 बजे बांड जारी किया था और करीब 3 घंटे में इसका सब्सक्रिप्शन पहुंच गया. लोगों ने इसे बहुत पसंद किया. नगर निगम ने जहां 244 करोड़ रुपये के लिए ग्रीन बॉन्ड जारी किया था, तो वहीं उसे 300 करोड़ रुपये बाजार से मिल गए. अगर आपको भी बॉन्ड चाहिए तो नगर निगम के इंदौर 311 एप सुविधा मिल जाएगी.


 



कार्बन उत्सर्जन कम करना होगा
बता दें कि ग्रीन सिटी बनाने के लिए कार्बन उत्सर्जन को कम करना होगा. यानी बिजली बनाने के लिए सोलर पैनल का यूज करना होगा. इसके लिए ही इंदौर बॉन्ड लेकर आ रहा है. देश में ग्रीन बॉन्ड लाने वाला इंदौर पहला नगर निगम है. 


निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प
खास बात ये है कि ग्रीन बॉन्ड खरीदने के लिए 8 फीसदी से ज्यादा ब्याज मिलेगा. इस ब्जाज का 6-6 महीने में भुगतान होगा. सुरक्षा के लिहाज से नगर निगम सेबी यानी Securities and Exchange Board of India के नियम मुताबिक ही भुगतान करेगा. ब्रांड होल्डर को ग्रीन बांड पर 8.25% की दर से ब्याज मिलेगा. होल्डर जितना पैसा निवेश करेगा, उसे उतना ही ब्याज 6 महीने बाद मिलेगा.


पर्यावरण योजना के लिए ग्रीन बॉन्ड बना
गौरतलब है कि सरकरा ने ग्रीन बॉन्ड पर्यावरण फ्रेंडली योजना बनाई है. आसान शब्दों सझाइये तो सरकार इस पर्यवारण योजना के लिए ग्रीन बॉन्ड के जरिए पैसा इकट्ठा करती है. सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए इन पैसों का इस्तेमाल करती है.


इंदौर में क्यों जारी किया गया बॉन्ड
दरअसल इसके पीछे का कारण इंदौर में पीने के पानी की कमी है. अभी जो नर्मदा जल इंदौर में पहुंचाया जा रहा है, उसके लिए सरकार को करोड़ों रुपये खर्च करना पड़ता है. एक रिपोर्ट की मानें तो नगर निगम हर महीने 25 करोड़ रुपये और साल में 300 करोड़ रुपये का बिजली बिल चुकाता है. इस खर्च को बचाने के लिए सरकार सोलर प्लांट लागने की परियोजना बना रही है. इसके लिए सरकार को ज्यादा पैसों की जरूरत है. जिसके लिए सरकार ने ग्रीन बॉन्ड को चुना है.