MP में कांग्रेस का 9 से 15 अगस्त तक बड़ा प्लान, इंदौर से कमलनाथ करेंगे शुरुआत
कांग्रेस प्रदेश में 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस से 9 august world tribal day 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस 15 august independence day तक बड़ा आयोजन करने जा रही है. इस कार्यक्रम की शुरुआत कमलनाथ kamal nath इंदौर Indore से करेंगे, जिसमें कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता शामिल होंगे. कांग्रेस यह अभियान पूरे प्रदेश में चलाएगी.
आकाश द्विवेदी/भोपाल। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश भर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाने की तैयारियों में जुटी है. बीजेपी देशभर में तिरंगा यात्रा निकाल रही है, तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस भी 9 अगस्त से 15 अगस्त तक तिरंगा यात्रा निकालेगी. इसकी सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम कमलनाथ kamal nath इस दौरान अलीराजपुर Alirajpur जिले के दौरे पर रहेंगे. जबकि कांग्रेस के अन्य सभी बड़े नेता भी प्रदेश के अलग-अलग संभागों में तिरंगा यात्रा में शामिल होंगे.
दिग्गज नेता संभालेंगे मोर्चा
9 से 15 अगस्त तक निकाले जाने वाली तिरंगा यात्रा की कमान कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता संभालेंगे. पूर्व सीएम कमलनाथ के अलावा दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, डॉ. गोविंद सिंह, कांतिलाल भूरिया और अजय सिंह राहुल को जिम्मेदारियां सौंपी गई है. ये सभी नेता अलग-अलग जिलों में कांग्रेस की तिरंगा यात्रा में शामिल होंगे. बताया जा रहा है कि अलग-अलग संभागों के जरिए कांग्रेस पूरे प्रदेश को साधने की तैयारी में है.
कमलनाथ करेंगे यात्रा का शुभारंभ
वहीं कमलनाथ इंदौर में आदिवासी बलिदानी नेता टंट्या भील की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर तिरंगा सम्मान महोत्सव का शुभारंभ करेंगे. इस दौरान कांग्रेस के सभी नेता एकजुट होकर एकता का दिखाएंगे. यात्रा इंदौर से शुरू होकर प्रदेश के अलग-अलग संभागों में पहुंचेगी.
अलीराजपुर जाएंगे कमलनाथ
तिरंगा यात्रा के दौरान कांग्रेस का आदिवासी वोट बैंक पर भी फोकस बना हुआ है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ तिरंगा यात्रा के लिए आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले के दौरे पर रहेंगे. क्योंकि 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस भी मनाया जाता है. अलीराजपुर जिले के दौरान कमलनाथ क्रांतिकारी शहीद चंद्रशेखर आजाद के गांव भाबरा जाएंगे. जबकि कांग्रेस प्रदेशभर में आयोजन भी करेगी.
कांग्रेस का आदिवासी वर्ग पर फोकस
2018 के विधानसभा चुनाव के पहले तक आदिवासी वर्ग का झुकाव बीजेपी की तरफ था. लेकिन 2018 के इलेक्शन में पांसा पलट गया और आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 30 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा केवल 16 सीटें जीत सकी. इसे प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की बड़ी वजह माना गया और प्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार बनी थी. लेकिन पिछले कुछ समय से बीजेपी ने इसी वर्ग पर फोकस किया है. ऐसे में अब कांग्रेस भी अपने पुराने वोट बैंक को साधने में जुट गई है.