Inside Story: उज्जैन में बदलाव की इनसाइड स्टोरी, जानिये क्यों हुआ तबादले पर जश्न?
उज्जैन नगर निगम कमिश्नर अंशुल गुप्ता पर लापरवाही की गाज गिर गई है. लगातार हो रही शिकायतों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक्शन लिया. इस कार्रवाई के बाद उज्जैन नगर निगम कार्यालय में जश्न मनाया गया. आखिर किसी अधिकारी के तबादले पर जश्न क्यों हुआ? इसके पीछे की वजह क्या है.
उज्जैन। पीएम मोदी के दौरे से पहले उज्जैन में बड़ा एक्शन हुआ, उज्जैन नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता को आगामी आदेश तक उपसचिव पद पर पदस्थ कर भोपाल मंत्रालय भेजने के राज्य शासन के आदेश के बाद नगर निगम उज्जैन में कुछ लोगों द्वारा ढोल बजावाए गए और आतिशबाजी करते हुए निगम परिसर में ही कुछ लोग नजऱ आये जिसके दो वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे है. हालांकि ढोल बजवाने और आतिशबाजी करवाने का जवाब किसी ने भी सामने आकर नहीं दिया.
क्यों हुआ तबादला
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दशहरा पर्व पर प्रधनमंत्री के दौरे की समीक्षा बैठक में मंत्री भूपेंद्र सिंह की निगम कमिश्नर के प्रति काम को लेकर नाराजगी इसका मुख्य कारण मानी जा रही है. वहीं निगम में अधिकारी कमर्चारी के कमिश्नर द्वारा लगातार, ठेकेदारों की अटकी राशि का निराकरण नहीं होने से नाराज ठेकेदार वर्ग व अन्य कई शिकायतें बताई जा रही हैं.
जानिए अब कौन होगा अंशुल की जगह कमिश्नर!
निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता को आगामी आदेश तक अस्थाई तौर पर हटाने के जारी हुए आदेश के बाद अब निगम कमिश्नर के पद पर नवनियुक्त महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक संदीप सोनी जो को विकास प्राधिकरण के CEO पद के साथ-साथ अब निगम कमिश्नर के पद को भी आगामी आदेश तक संभालेंगे. महाकाल मंदिर प्रशासक संदीप सोनी इंदौर नगर निगम से उज्जैन में तत्कालीन मंदिर प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ की जगह पदस्थ किये गए थे, जिनके पास अब दो और महतवर्ण जिम्मेवारी पद खाली रहने तक रह सकती है.
अंशुल गुप्ता के कार्यकाल की बात करे तो अंशुल गुप्ता के निगम कमिश्नर व स्मार्ट सिटी CEO रहते शहर में कई सौंदर्यीकरण के कार्य हुए है. महाशिवरात्रि पर्व का सफल आयोजन उनके रहते हुए व टाटा के कार्यो पर लगाम लगाने के कार्य उन्होंने किये है व अन्य कई उपलब्धियां रही है. साथ ही शासन की योजना मुफ्त भोजम गरीब असहाय को देने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
पहली भी हो चुकी है ऐसी कार्रवाई
प्रधानमंत्री के दौरे से पहले ऐसी ही एक कार्रवाई महाकालेश्वर मंदिर के तत्कालिन प्रसाशक गणेश धाकड़ पर हो चुकी है. उनपर पर कई शिकायतें दर्ज थी हालांकि उनकी उपलब्धि यह रही थी कि मंदिर में 80 करोड़ से अधीक का दान साल भर में मंदिर के मिला था.
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