MP News: मध्य प्रदेश में वेतन विसंगतियां झेल रहे 5 लाख कर्मचारियों की उम्मीदों पर एक बार फिर से पानी फिरता हुआ दिख रहा है. सरकार ने मुद्दे को हल करने के लिए जिस कर्मचारी आयोग का गठन किया था, अब उसका कार्यकाल बढ़ा दिया है. लोकल अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, कर्मचारी आयोग का कार्यकाल 11 दिसंबर 2023 से 12 दिसंबर 2024 तक होगा.  ऐसा पहली बार हुआ है जब बडे़ कर्मचारी वर्ग को प्रभावित करने के लिए गठित आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी हो और उसका कार्यकाल खत्म होने के छह महीने बाद कार्यकाल बढ़ाया गया हो. इधर, कर्मचारियों के संगठनों का आरोप है कि सरकार ने आयोग का कार्यकाल मनचाही रिपोर्ट हासिल करने के लिए बढ़ाया है.


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मध्य प्रदेश के सभी 52 विभागों में स्टेनोग्राफर और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी काम करते हैं. इन सभी कर्मचारियों के वेतन विसंगतियां बनी हुई हैं. प्रदेश में स्टेनोग्राफर की योग्यता और भर्ती प्रक्रिया लगभग एक जैसी है, लेकिन अलग-अलग विभाग के हिसाब से वेतन अलग-अलग हैं. पुलिस मुख्यालय, मंत्रालय एवं विधि विभाग में काम करने वाले स्टेनोग्राफरों का प्रारंभिक वेतनमान 5500-9000 है, जबकि विभाग अध्यक्ष और कलेक्ट्रेट में काम करने वाले स्टेनोग्राफर का वेतनमान 4500-7000 रुपये हैं.

कई सालों से चली आ रही विसंगतियां
वेतन विसंगतियों से प्रभावित होने वाला सबसे बड़ा वर्ग तृतीय श्रेणी में बाबू और चतुर्थ श्रेणी में भृत्य हैं. इनकी संख्या 1.25 लाख के आसपास है. 2 वर्ग ऐसे हैं, जिनकी योग्यता, चयन प्रक्रिया और काम एक जैसा है, लेकिन वेतनमान अलग अलग हैं. इसमें सहायक ग्रेड-3 और डेटा एंट्री ऑपरेटर शामिल हैं. लिपिकों के वेतन की विसंगति 30 साल से चली आ रही है. पहले तृतीय श्रेणी में लिपिकों का वेतन सबसे ज्यादा हुआ करता था. लेकिन, धीरे-धीरे नीचे वाले सभी संवर्गों के वेतन बढ़ते गए और उनके पदनाम भी बदल गए.


जो सिफारिशें आएंगी उन पर होगा विचार
वित्त विभाग के प्रमुख सचिव मनीष सिंह का कहना है कि कर्मचारी आयोग का कार्यकाल को बढ़ाया गया है. जो सिफारिशें आएंगी उनका परीक्षण किया जाएगा. इधर, मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ अध्यक्ष इंजीनियर सुधीर नायक ने कहा कि पिछली रिपोर्ट में जो विसंगतियां छूटी हैं, उनपर भी विचार होना चाहिए. लिपिकों की वेतन विसंगति सबसे पुरानी है.