प्रमोद शर्मा/भोपालः मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही महीनों का समय बचा है लेकिन उससे पहले कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगता दिख रहा है. दरअसल आदिवासी संगठन जयस ने बागी तेवर दिखाते हुए 20 अक्टूबर को धार के कुक्षी में महापंचायत बुलाई है. जयस के संरक्षक और कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा ने राज्य की 80 सीटों पर जयस के झंडे तले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. जयस के इस ऐलान से कमलनाथ के समीकरण बिगड़ सकते हैं और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है. 


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कांग्रेस के लिए बड़ा झटका


आदिवासी संगठन जयस के संरक्षक हीरालाल अलावा ने ऐलान किया है कि उनका संगठन 2023 में अपने दम पर चुनाव लड़ेगा. 2023 चुनाव तैयारियों को लेकर हीरालाल अलावा ने धार के कुक्षी में जयस की महापंचायत बुलाई है.  इस महापंचायत में आगामी चुनाव को लेकर रणनीति बनाई जाएगी. बता दें कि जयस का फिलहाल कांग्रेस पार्टी को समर्थन है. हालांकि अब हीरालाल अलावा के बागी तेवरों ने कमलनाथ और कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है. 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासियों का समर्थन कांग्रेस को मिला था. जिसका बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था. अब अगर जयस अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरता है तो कांग्रेस को आदिवासी वोटों का नुकसान होना तय माना जा रहा है. 


80 सीटों की है लड़ाई
मध्य प्रदेश की राजनीति में आदिवासी वोटबैंक निर्णायक माना जाता है. एमपी में कुल जनसंख्या का 22 फीसदी आबादी आदिवासियों की है. प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. साथ ही 80 से ज्यादा सीटों पर आदिवासी मतदाताओं का प्रभाव है. यही वजह है कि एमपी में सत्ता पाने के लिए आदिवासी वर्ग को साधना जरूरी होता है. 


आदिवासी वर्ग में जयस की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है. एमपी में ही जयस के कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़कर 6 लाख तक पहुंच गई है. वहीं देशभर में इस संगठन के कार्यकर्ताओं की संख्या करीब 25 लाख हो गई है. एमपी के जनजातीय बहुल इलाकों में जयस की मजबूत पैठ है.