Jyotiradiya Scindia: मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव (Loksabha Chunav 2024) से पहले एमपी की सियासत काफी गरमाई हुई है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस समय काफी एक्टिव नजर आ रहे हैं. उनकी सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो ग्वालियर-चंबल में लगातार कांग्रेस को एक के बाद एक झटका दे रहे हैं. हाल ही में उन्होंने सांसद केपी यादव के भाई की घर वापसी कराई है तो अब कांग्रेस के 5 पार्षदों को भाजपा की सदस्यता दिलाई दी है.


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दरअसल केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख सेनापति की तरह ग्वालियर चम्बल में काम कर रहे हैं. पिछले 6 महीने में देखें तो उनकी सक्रियता सबसे अधिक रही है. विधानसभा में चुनाव बीजेपी को अच्छे परिणाम के बाद अब आगामी लोकसभा से पूर्व अब उनकी सक्रियता ग्वालियर-चम्बल क्षेत्र में और बढ़ गई है. उन्होंने पिछले 10 दिनों में पचास से अधिक सभाएं की व जनता को सम्बोधित किया.
 
5 पार्षद और 320 कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिल्ली से सीधे आकर ग्वालियर एयरपोर्ट पर गुना सांसद केपी यादव के भाई व यूथ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अजय पाल यादव को भाजपा की सदस्यता दिलाई. इसके बाद क्षेत्र के पांच पार्षदों को भी पार्टी में समर्थकों के साथ शामिल कराया.


सिंधिया ने कांग्रेस पार्षद श्रीमती गौरा अशोक गुर्जर (वार्ड संख्या 62), बीएसपी पार्षद सुरेश सोलंकी (वार्ड संख्या 23), आशा सुरेंद्र चौहान (वार्ड संख्या 2) ,  कमलेश बलवीर सिंह तोमर (वार्ड संख्या 19), दीपक मांझी (वार्ड संख्या 6 ) ने केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति में भाजपा की सदस्यता ली. इसके साथ अलग से 320 पूर्व कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को भी पार्टी में शामिल कराया. 


ग्वालियर महापौर के सामने संकट!
वहीं जो पार्षद बीजेपी में सिंधिया की मदद से शामिल हुए वो अभी तक महापौर को समर्थन दे रहे थे. लेकिन अब नगर निगम परिषद की तस्वीर बदल गई है. अब परिषद में बीजेपी के 41 और कांग्रेस के 25 पार्षद ही बचे हैं. इस परिषद में भाजपा विपक्ष में है और विपक्षी पार्षदों की बढ़ती संख्या के साथ ही महापौर के सामने अविश्वास प्रस्ताव का संकट खड़ा हो गया है. ग्वालियर नगर निगम में 66 पार्षद हैं. इन 5 पार्षदों के अलावा अब अगर तीन पार्षद और टूटकर भाजपा में चले जाते हैं, तो महापौर का हटना तय हो जाएगा. ऐसे में महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. दरअसल  नगर निगम एक्ट के मुताबिक तीन-चौथाई पार्षद मिलकर महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं. बता दें कि पार्षदों पर दल बदल कानून लागू नहीं होता है, इसके चलते अब महापौर के पद पर खतरा मंडरा रहा है.


ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस की टूटी कमर
केंद्रीय मंत्री के लगातार ग्वालियर चम्बल के दौरे और कांग्रेसी नेताओं व कार्यकर्ताओं को पार्टी की सदस्यता से क्षेत्र में कांग्रेस की कमर टूट चुकी है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद ग्वालियर-चम्बल में कांग्रेसी कमजोर होती जा रही है. जो सिंधिया समर्थक नेता व कार्यकर्ता 2020 में भाजपा में शामिल नहीं हो पाए थे, वे अब हो रहे है. अंदरूनी रिपोर्ट यह है कि कांग्रेस के पास अब इस क्षेत्र में लोकसभा के लिए प्रत्याशी तक नहीं मिल रहे , पुराने कई लोगों ने लोकसभा टिकट लेने से मना कर दिया है.