ज्योतिरादित्य सिंधिया के BJP में दो साल पूरे, कितने बदले हालात और महाराज का कद?
ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी ज्वाइन किए हुए आज 2 साल पूरे हो गए. पार्टी में 2 साल पूर्ण होने पर सिंधिया ने खुशी जाहिर की.
ग्वालियर: ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी ज्वाइन किए हुए आज 2 साल पूरे हो गए. पार्टी में 2 साल पूर्ण होने पर सिंधिया ने खुशी जाहिर की. सिंधिया ने कहा कि मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश अध्यक्ष जेपी नड्डा जी ने एक जागरुक संगठन में कार्य करने का मौका दिया. प्रधानमंत्री जी की लोकप्रियता विदेश में भी कायम है. हम यूक्रेन से सभी भारतीयों को सकुशल वापस लाएं. आज भी बचे हुए स्टूडेंट को यूक्रेन से वापस लाया जा रहा है. इन दो सालों में हालात काफी बदले. सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्रालय मिला. उनका कद भी बढ़ा और पार्टी में आदर भी.
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11 मार्च 2020 में आए थे बीजेपी में
ठीक दो साल पहले आज ही के दिन यानी 11 मार्च 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ बीजेपी के पाले में आ गए थे. सिंधिया के इस कदम से ही मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिर गई थी. इसके बाद दोबारा शिवराज सिंह सीएम बने थे. उस समय सिंधिया का बीजेपी में स्वागत करने के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी पार्टी में उनकी एंट्री से सभी सहज हो पाएंगे या नहीं. हमेशा से सिंधिया घराने की राजनीति बीजेपी के खिलाफ ही रही थी. ऐसे में उन्हें दल में स्वीकार करना आसान नहीं था. आज दो साल बाद देखें तो सिंधिया संगठन में संतुलन बनाने में काफी हद तक कामयाब दिखाई दे रहे हैं.
बदल गई राजघराने वाली छवि
इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया के बदले हुए व्यवहार को हर किसी ने महसूस किया. एक समय सिंधिया से मिलने लोगों को सर्किट हाउस जाना पड़ता था. कांग्रेस की इस प्रथा को तोड़ते हुए महाराज अब खुद अपनी जनता के पास जाते दिखते हैं. सिंधिया अब खुद कार्यकर्ताओं और नेताजों से मिलने उनके पास चले जाते हैं और उनके घर पर खाना तक खा लेते हैं. इसी के चलते उनकी राजघराने वाली छवि हटकर बीजेपी की जमीनी कार्यकर्ता वाली में बदल चुकी है.
सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद कहा जा रहा था कि शिवराज सिंह असहज रहेंगे, लेकिन बीते दो सालों में दोनों के बीच मधुर रिश्ते ही दिखे. इसकी शुरुआत ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए शिवराज सिंह के घर रखे डिनर से ही हो गई थी. उस समय एक तस्वीर खासा चर्चा में रही थी, जिसमें खुद सीएम की पत्नी साधना सिंह खाना परोसते दिखी थीं. प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के साथ भी सिंधिया के सहज संबंध देखने को मिलते हैं. यही कारण है कि संगठन और सत्ता में सिंधिया खेमे के नेताओं को भी तवज्जो मिल रही है. शिवराज कैबिनेट में बड़ी संख्या में उन नेताओं को शामिल किया गया था, जो महाराज के साथ कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए थे.
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ग्वालियर-चंबल के इलाकों में दबदबा
ग्वालियर और चंबल में सिंधिया घराने का हमेशा से दबदबा रहा है और बीजेपी को इन इलाकों में पकड़ मजबूत करना बेहद जरूरी था. बीजेपी के लिए यहां जीत हासिल करना असंभव सा था, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के आने से संभव हो गया. सिंधिया ने जल्द ही बीजेपी में अपनी पैठ भी बना ली और नागरिक उड्डयन मंत्री बन कद भी उंचा कर लिया. 15 महीनों के बाद सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्रालय का जिम्मा सौंप दिया गया. याद हो पी वी नरसिम्हा राव की सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया इसी मंत्रालय का जिम्मा संभालते थे. आज महाराज भारतीय जनता पार्टी का एक बड़ा और दमदार चेहरा साबित हुए हैं.
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