साउथ के सामने क्यों नहीं टिक पा रहा बॉलीवुड? कांतारा के डायरेक्टर ऋषभ शेट्टी ने बताई वजह
नई दिल्लीः कन्नड़ फिल्म कांतारा सफलता के नए कीर्तिमान रच रही है. बता दें कि अभी तक यह फिल्म वर्ल्डवाइड 300 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर चुकी है. हिंदी में डब वर्जन ने भी 50 करोड़ रुपए से ज्यादा कमा लिए हैं. साफ पता चल रहा है कि साउथ की फिल्में हिंदी में भी बेहतर कर रही हैं.
नई दिल्लीः कन्नड़ फिल्म कांतारा सफलता के नए कीर्तिमान रच रही है. बता दें कि अभी तक यह फिल्म वर्ल्डवाइड 300 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर चुकी है. हिंदी में डब वर्जन ने भी 50 करोड़ रुपए से ज्यादा कमा लिए हैं. साफ पता चल रहा है कि साउथ की फिल्में हिंदी में भी बेहतर कर रही हैं. वहीं बॉलीवुड फिल्में लाख कोशिशों के बाद भी दर्शकों को लुभाने में नाकामयाब हो रही हैं. अब कांतारा के डायरेक्टर और एक्टर ऋषभ शेट्टी ने इसकी वजह बताते हुए बड़ी बात कही है.
क्या बोले ऋषभ शेट्टी
जब ऋषभ शेट्टी से पूछा गया कि आजकल हिंदी फिल्में साउथ की फिल्मों की तरह क्यों सफल नहीं हो पा रही हैं तो उन्होंने कहा कि आजकल रीजनल ही यूनिवर्सल है. आपका क्षेत्र ही आपकी दुनिया है, जिसे आप पहचानते हैं. आजकल बॉलीवुड के फिल्मकार इस बात को भूलते जा रहे हैं. हम दर्शकों के लिए फिल्में बनाते हैं ना कि अपने लिए. हमें उनकी भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए और उनकी जीवनशैली और संस्कारों को भी देखना चाहिए. फिल्मकार बनने से पहले हम भी ऐसे ही थे. बॉलीवुड पर अब पश्चिमी असर बहुत ज्यादा है लेकिन लोग पहले से ही हॉलीवुड की फिल्में देखते हैं और वो हमसे क्वालिटी, स्टोरीटेलिंग और परफॉर्मेंस में भी बेहतर हैं.
ऋषभ शेट्टी ने बताया कि आजकल ओटीटी प्लेटफॉर्म पर हमारे पास काफी पश्चिमी कंटेंट देखने की सहूलियत है लेकिन वहां भी मेरे गांव की कहानी नहीं मिलेगी. क्षेत्रीय कहानियां दुनिया में कहीं नहीं मिलेंगी. आप एक कहानीकार हैं और आपके क्षेत्र में कहानियां हैं बस आपको इन कहानियों को लोगों तक पहुंचाना है. कांतारा के निर्देशक ने कहा कि जब वह कहानी लिखने बैठते हैं तो वह कहानी का बैकग्राउंड ऐसा चुनते हैं, जो दुनिया उन्होंने देखी है. अगर आप कांतारा को देखें तो यह एक सामान्य कहानी है लेकिन इसमें बैकग्राउंड, इसकी लेयर और पैकेजिंग नई है. जब ये सब चीजें साथ आती हैं तो इससे फिल्म में फील आता है. यह मेरे गांव की कहानी है जो मैंने बचपन में देखी थी. कोई फिल्ममेकर अगर इस अहसास को ढूंढ सकता है तो हो सकता है कि वह फिल्म काम कर जाए.