प्रमोद सिन्हा/खंडवा:  ज्ञानवापी में प्राचीन शिव मंदिर होने की जांच करने के लिए वाराणसी कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) से साइंटिफिक सर्वे आदेश कराने का आदेश दिया है. इस आदेश के पीछे का बड़ा आधार एमपी के खंडवा जिले में स्थित महादेवगढ़ मंदिर है. 


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दरअसल इस प्राचीन मंदिर का फैसला भी ASI के सर्वे के आधार पर हुआ था. ASI ने सर्वे और कार्बन डेटिंग कर इस शिव मंदिर को 12वीं सदी का बताया था. इस मामले की जानकारी लेने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू धर्म के पक्षकार वकील विष्णु शंकर जैन भी 2 महीने पहले यहां पहुंचे थे. उनका मानना था कि खंडवा में विवादित स्थल पर मंदिर होने की पुष्टि ASI कर सकती है तो ज्ञानवापी में क्यों नहीं?  वहीं महादेव गढ़ मंदिर के संरक्षक का कहना है कि कार्बन डेटिंग के माध्यम से ज्ञानवापी मंदिर का मामला भी साफ हो जाएगा.


महादेव गढ़ का हुआ सर्वे
बता दें कि खंडवा का महादेवगढ़ मंदिर 12वीं सदी में समय के साथ अपना अस्तित्व खो चुका था. मंदिर के शिवलिंग के नजदीक कुछ लोगों ने भैंसों का तबेला बना रखा था. जब इस शिवलिंग के रखरखाव की बात सामने आई तो हाईकोर्ट में याचिका लगा दी गई. याचिकाकर्ता मो. लियाकत पवार ने तर्क दिया कि यहां कोई शिवलिंग नहीं है, उसके बावजूद हिंदू धर्म के अनुयाई यहां पूजा पाठ और उत्सव मनाते हैं. उन्होंने कहा कि मंदिर के नाम पर अतिक्रमण किया जा रहा है. जिसे हटाया जाए. मामला कोर्ट में पहुंचा तो जिला प्रशासन से जवाब मांगा गया. तब जिला प्रशासन ने इसके प्राचीन होने का सर्वे पुरातत्व विभाग से करवाया. 


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ASI ने बताया पुरातन मंदिर
कार्यालय उपसंचालक पुरातत्व इंदौर के तकनीकी सहायक डॉ. जीपी पांडेय ने जांच के बाद 13 फरवरी वर्ष 2015 को कलेक्टर कार्यालय को रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट के अनुसार नगर के इतवारा बाजार में स्थित कुंडलेश्वर महादेव का प्राचीन शिवलिंग 12वीं सदी का है. एएसआई ने इसे परमार कालीन बताया.


सोशल मीडिया पर शेयर की ASI रिपोर्ट
लगभग 2 महीने पहले ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की पैरवी कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन खंडवा पहुंचे थे. उन्होंने महादेव गढ़ मंदिर के संरक्षक अशोक पालीवाल से एएसआई की रिपोर्ट प्राप्त की थी. बाद में उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट किया था कि जब एसआई खंडवा में शिवलिंग की जांच कर उसके ऐतिहासिक महत्व को बता सकता है तो ज्ञानवापी में क्यों नहीं? इस ट्वीट को हजारों लोगों ने लाइक किया था. अशोक पालीवाल का कहना है कि निश्चित ही खंडवा के महादेव गढ़ मंदिर कार्बन डेटिंग के आधार पर तैयार की गई, एएसआई की रिपोर्ट ज्ञानवापी मामले में भी एक आधार बन सकती है.