जिस पत्नी को छोड़ने का बनाया मन उसे ही गोदी में बैठा कर ले गया पति, जानिए पूरा मामला...
मध्य प्रदेश के खंडवा में एक पति अपने पत्नी को छोड़कर दूसरी पत्नी लाने का मन बनाया था. जिसे महिला थाना के अधिकारियों ने समझाकर परिवार को टूटने से बचाया. जिसके बाद पति अपनी पत्नी को गोद में उठाकर घर ले गया.
प्रमोद सिन्हा/खंडवा: जिले में पति-पत्नी (Husband-Wife ) के अटूट रिश्ते को महिला पुलिस थाने अधिकारियों ने टूटने से बचा लिया. महिला थाने में परामर्श (Counseling) के लिए आया पति अपनी पत्नी को छोड़ दूसरी पत्नी लाने का मन बना कर आया था, लेकिन परामर्श के बाद जब वापस गया तो उसी पत्नी को गोद में उठाकर अपने घर ले गया. पत्नी को गठिया की शिकायत थी, जब वह चलने फिरने में लाचार हो गई तो पति ने उसी के रहते दूसरी पत्नी लाने का मन बनाया. इसी से परेशान पत्नी ने पुलिस थाने में पति के खिलाफ शिकायत की थी. महिला पुलिस थाने में दोनों को परामर्श के लिए बुलाया था और पति को समझाकर परिवार टूटने से बचाया गया.
जानिए क्या है मामला?
दरअसल कहानी धनगांव थाना क्षेत्र के बावड़िया गांव में रहने वाले दशरथ मोहरे और उनकी पत्नी नर्मदा की है. जहां नर्मदा ने महिला थाने में शिकायत की थी कि पति उसे साथ नहीं रखना चाहता हैं. वह दूसरी शादी कर सौतन लाना चाहता हैं. दशरथ ने पुलिस को बताया कि 2013 में उसकी नर्मदा से शादी हुई थी. उनका सात साल का एक बेटा भी है. बेटे के जन्म के कुछ दिन बाद ही नर्मदा को शारिरिक समस्याएं होना शुरू हो गई. गठिया बीमारी के चलते शरीर में जगह-जगह फोड़े होने लगे. पहले तो वह चल फिर लेती थी, लेकिन पिछले तीन-चार माह से चलने में असमर्थ हो गई. उसके दोनों पैरों में सूजन आ चुकी है. खंडवा, सनावद, बड़वाह और इंदौर के अस्पताल में कैंसर, स्किन, सर्जन और स्त्रीरोग विशेषज्ञों को बताया. सभी जगह इलाज करवाया लेकिन पत्नी ठीक नहीं हुई.
गौरतलब है कि सात साल के एक बेटे और पत्नी की सेवा करते करते दशरथ थक गया, इसलिए उसने पत्नी के रहते दूसरी पत्नी लाने का मन बनाया था. दशरथ की सोच यह थी कि दूसरी पत्नी घर की जिम्मेदारियां संभाल लेगी, लेकिन पहली पत्नी को अपनी सौतन लाना नागवार गुजरा इसलिए उसने थाने में शिकायत की थी.
पत्नी को गोदी में उठाक घर ले गया पति
महिला थाने की पुलिस अधिकारी ने दोनों को परामर्श के लिए बुलाया. एक हंसता खेलता परिवार टूट ना जाए. इसलिए दोनों से अलग-अलग और सम्मिलित परामर्श किया गया. अधिकारियों ने शादी की परिभाषा और जिम्मेदारियों को समझाते हुए बताया कि शादी का मतलब सिर्फ शारीरिक ही नहीं भावनात्मक और जिम्मेदारी वाला भी है. जिसमें पति -पत्नी एक दूसरे के सुख दुख में सहभागी बने. जब पत्नी पर दुख आया तो यह पति की जिम्मेदारी है कि वह उसका सारथी बने, साथ ही यह भी बताया कि यह जरूरी नहीं कि दूसरी पत्नी शादी के बाद वैसी जिम्मेदारी उठा सके, जैसी पति सोच रहा है. इसी बात से संतुष्ट होकर दशरथ ने दूसरी शादी का ख्याल छोड़ दिया और अपनी पत्नी को गोदी में उठाकर अपने घर ले गया.
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