प्रमोद सिन्हा/खंडवा: मध्यप्रदेश के खंडवा में खरगोश और कछुए की वर्षों पुरानी कहानी वनरक्षक भर्ती दौड़ परीक्षा में साकार हो गई. इसमें एक युवक तेज दौड़ते हुए इतना आगे निकल गया कि पीछे छूटे उसके प्रतियोगी दूर-दूर तक नजर नहीं आए. इसी चक्कर में यह युवक आराम करने के लिए छांव में सो गया. जब नींद खुली तब तक वह परीक्षा से बाहर हो चुका था. यह कहानी मंगलवार को खंडवा में विशेष जनजाति समुदाय के लिए वन रक्षकों की भर्ती की शारीरिक दौड़ परीक्षा के दौरान साकार हुई.


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जानिए पूरा मामला?
मंगलवार को खंडवा में विशेष जाति समुदायों के लिए वन रक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई .इसमें 38 पदों के लिए विशेष जनजातियों के 61 प्रतिभागियों ने भाग लिया. इसमें से 52 पुरुष थे. जिन्हें 24 किलोमीटर दौड़ना था और 9 महिलाएं थीं. जिनके लिए 14 किलोमीटर की दौड़ 4 घंटे में पूरी करना थी.


पुरुष वर्ग में 96 नंबर की जर्सी पहने डबरा के सहरिया जनजाति समुदाय के पहाड़ सिंह 21 किलोमीटर का सफर पहले लगभग ढाई घंटे में ही पूरा कर लिया. जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो कई किलोमीटर दूर तक भी उसके प्रतियोगी दिखाई नहीं दिए. इस दौरान उसने आराम करने की सोची और वह सड़क किनारे खड़े एक डंपर की छांव में लेट गया. यहां उसकी नींद लग गई. जब सभी कंटेस्टेंट्स लास्ट पॉइंट पर पहुंच गए तब उसमें एक प्रतियोगी दिखाई नहीं दिया.


प्रतियोगी सक्षम होते हुए भी हो गया बाहर
भर्ती प्रक्रिया में लगे अधिकारियों और कर्मचारियों ने जगह-जगह लगे पॉइंट पर जांच की तब पता चला कि 21 किलोमीटर तक तो वह सबसे आगे था. फिर उसे ढूंढा गया तो वह सड़क किनारे डंपर की छांव में सोता नजर आया. जब उसे जगाया तब तक परीक्षा दौड़ का समय पूरा हो गया था. इस तरह पहाड़ सिंह सक्षम होते हुए भी इस दौड़ प्रतियोगिता में बाहर हो गया. अधिकारी कहते हैं कि यह उसका दुर्भाग्य था कि सक्षम होते हुए भी वह बाहर हो गया.


गौरतलब है कि भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुसार कहानियां और किंवदंतियां ज्ञान और अनुभव के आधार पर ही बनती है. इसलिए वर्षों से इस तरह की कहानियां बच्चों को सुनाई जाती है. आज इस घटना ने साकार कर दिया कि कहानियां झूठी नहीं होती है. इसमें वर्षों का ज्ञान और अनुभव छिपा रहता है.