एमपी के इस जिले में है देश का एकमात्र नवग्रह मंदिर, यहां हर मनोकामना होती है पूरी!
मंदिर के पुजारी पंडित लोकेश जागीरदार बताते हैं कि खरगोन के नवग्रह मंदिर में भगवान सूर्य नारायण के दर्शन के लिए मकर संक्रांति के दिन सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगनी शुरू हो जाती है.
राकेश जायसवाल/खरगोनः आज देशभर में मकर संक्रांति का पर्व पूरी आस्था और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. एमपी के खरगोन जिले में इस दिन का खास महत्व है. बता दें कि खरगोन में देश का एकमात्र श्री नवग्रह मंदिर है, जहां मकर संक्रांति के दिन सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है. इस दिन यहां नवग्रह का मेला भी आयोजित होता है. हालांकि इस साल कोरोना महामारी के चलते मेले के आयोजन की स्वीकृति प्रशासन ने नहीं दी है.
साढ़े चार सौ साल पुराना है मंदिर
खरगोन में कुंदा नदी के तट पर स्थित यह श्री नवग्रह मंदिर साढ़े चार सौ साल पुराना बताया जाता है. प्राचीन मान्यता है कि श्री नवग्रह मंदिर में ही सूर्य की पहली किरण भगवान सूर्य नारायण पर गिरती है. इसलिए मकर संक्रांति के दिन श्री नवग्रह मंदिर में दर्शनों का विशेष महत्व है. इस ऐतिहासिक नवग्रह मंदिर में भगवान सूर्य नारायण के साथ ही अधिष्ठात्री देवी श्री बगुलामुखी भी विद्यमान हैं.
मंदिर के पुजारी पंडित लोकेश जागीरदार बताते हैं कि खरगोन के नवग्रह मंदिर में भगवान सूर्य नारायण के दर्शन के लिए मकर संक्रांति के दिन सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगनी शुरू हो जाती है. मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं. जिसके चलते इस दिन को सूर्य भगवान की आगवानी की दिन माना जाता है.
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ऐसी मान्यता है कि आज के दिन सूर्य भगवान और नवग्रह की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. आज के दिन भगवान सूर्यनारायण की कथा करवाने का भी विशेष महत्व माना जाता है. ऐसे में मकर संक्रांति पर खरगोन के नवग्रह मंदिर परिसर में सैंकड़ों पंडितों द्वारा पूरे दिन सत्यनारायण भगवान की कथा कराई जाती है.
कोरोना को देखते हुए यहां एक माह तक चलने वाला नवग्रह मेला इस बार नहीं लगा है और लोगों को दर्शन भी कोरोना गाइडलाइंस के साथ कराए जा रहे हैं. भीड़ को देखते हुए प्रशासन की तरफ से भी सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं.