आकाश द्विवेदी/भोपाल: मध्यप्रदेश (MP News) में चुनावी साल (MP Election 2023) में सरकार राज्य की आदिवासी आबादी पर फोकस कर रही है. सरकार आदिवासी समाज को चुनाव में लेकर चलना चाहती है. इसी क्रम में बीजेपी मप्र में कोल समाज (Kol Samaj Impact on MP Politics) को साधने में लगी है. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिहाज से कोल जनजाति का काफी महत्व है. बता दें कि इसी के चलते बीजेपी 10 लाख से ज्यादा आबादी कोल समाज के जरिए एसटी वोटर्स पर भी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है.


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कोल समाज क्यों है महत्वपूर्ण?
बता दें कि कोल जनजाति मध्य प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी अनुसूचित जनजाति है. राज्य में 10 लाख से अधिक आबादी वाली यह जनजाति विंध्य क्षेत्र में एक प्रमुख वोट बैंक है. सतना ,सीधी ,सिंगरौली ,शहडोल ,रीवा ,पन्ना में यह जनजाति अपना बर्चस्व रखती हैं. खास बात ये है कि यह जनजाति एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर निर्णायक भूमिका में भी हैं. इसलिए  विंध्य के क्षेत्र में जीतने के लिए ये जनजाति बहुत ज्यादा अहम है.


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कांग्रेस ने किया बीजेपी पर वार
बता दें कि कोल समाज के सम्मेलन पर कांग्रेस ने बीजेपी की सरकार को 2,000 की नोट की तरह करार देते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं. कांग्रेस का कहना है कि एक तरफ बीजेपी कोल समाज को स्वतंत्रता के आंदोलन में बड़ा योगदान की तरह मानती है. दूसरी ओर उनके बगल में ही गद्दारी करने वाले लोग बैठते हैं. कांग्रेस का कहना है कि कितनी भी कोशिश कर ली जाए. एसटी वर्ग अब कांग्रेस के साथ ही है. बीजेपी के पास एक ही काम बचा है सिर्फ सम्मेलन बुलाना.


वहीं कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने कभी अनुसूचित जनजाति को सम्मान नहीं दिया है. उनके पोस्टर तक में भी अनुसूचित जनजाति को सम्मान नहीं दिया जाता, ना ही प्रतिनिधित्व, इसलिए कांग्रेस अनुसूचित जनजाति की बात ना करें. बीजेपी ने पर्याप्त प्रतिनिधित्व भी दिया है और इसीलिए एसटी वर्ग का बीजेपी के साथ है. बीजेपी ने निशाना साधते हुए नेहरू को ही गद्दार करार दे दिया.