Krishna Chhatti 2022: कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार चारो तरफ बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया गया है. बीती रात कृष्ण जन्मोत्सव पर हिंदू धर्म के पारंपरिक तरीके से व्रत रख कर भगवान कृष्ण की पूजा करते हुए बधाईयां गायीं गईं. हिंदू धर्म में बच्चे के जन्म के छह दिन बाद छठी (छठियार) मनाई जाती है. इसी तरह कृष्ण जन्माष्टमी के छह दिन बाद भी छठी मनाई जाती है और इस दिन भी भगवान बांके बिहारी का विधि विधान से पूजा किया जाता है. इस बार कृष्ण जी की छठी 24 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे मनाई जाती है भगवान कृष्ण की छठी और कैसे करते हैं पूजा?


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ऐसे मनाएं कान्हा की छठी
जन्माष्टमी का त्यौहार हर जगह 19 अगस्त की रात्रि को मनाया गया है. अब लोग कान्हा के छठी की तैयारी कर रहे हैं. कृष्ण जी की छठी 19 अगस्त को मनाई जाएगी. इस दिन सुबह खुद स्नान करने के पश्चात लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराएं. साथ ही दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भर कर लड्डू गोपाल का अभिषेक करें. इसके बाद कान्हा को पीतांबरी (पीले रंग का वस्त्र) पहनाएं और उन्हें चंदन टीका लगाकर श्रृंगार करें. 


कान्हा के छठी पर इन चीजों का लगाएं भोग
भगवान कृष्ण को माखन मिश्री प्रिय है. इसलिए उन्हें माखन और मिश्री का भोग लगाएं. साथ ही इस दिन घर पर कढ़ी चावल बनाएं और उसे कान्हा को भोग लगाकर खुद प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. छठी के दिन बच्चों के नाम रखने की मान्यता है. ऐसे में आप इस दिन भगवान का पसंदीदा नाम जैसे- लड्डू गोपाल, कान्हा, कन्हैया, माधव, गोविंद, कृष्णा, बांके बिहारी इत्यादि में से कोई एक नाम रख सकते हैं और छठी के बाद से भगवान को इसी नाम से बुलाएं.



जानिए क्यों मनाई जाती है छठी
हिंदू धर्म बालक के जन्म के छठवें दिन षष्ठी देवी की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि छठी के दिन बच्चों की अधिष्ठात्री देवी यानी षष्ठी देवी की पूजा करने से बच्चा स्वस्थ रहता है और उसके जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता है. इसलिए हर बच्चे के जन्म के छठवें दिन षष्ठी देवी की पूजा की जाती है. 


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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)