राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: कार्तिक महीने के आगमन के साथ ही दीपावली की तैयारियां जोर शोर से शुरू हो जाती है. इस महीने में कई धार्मिक अनुष्ठान और कार्यक्रम भी  होते है. इस साल कार्तिक माह की 24 अक्टूबर को पूरे देश में दिवाली का पर्व मनाया जाएगा. दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है? तो चलिए आपको बताते है...


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पंडित गोपाल कृष्ण शर्मा ने बताया कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की जो अमावस्या होती है. उस दिन मां लक्ष्मी का जन्मदिवस माना गया है. जन्मतिथि अमावस्या होने से हम महालक्ष्मी पर्व के रूप में दीपावली मनाते हैं. धन लक्ष्मी वैभव जीवन में सूख समृद्धि की कामना हम मां से करते है. मां लक्ष्मी भगवान नारायण विष्णु की अर्धांगिनी है. इसलिए भगवान गणेश के साथ पूजन किया जाता है. जब भगवान गणेश के साथ पूजन होता है तो गृहस्त जीवन के भौतिक जीवन की प्राप्ति होती है. हर कोई इस पूजन को बड़ी पवित्रता के साथ संपन्न करता है. घर की सफाई का कार्य करता है.


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शाम 7 बजे होता पूजन
पंडित जी ने बताया कि शाम 4 से 7 बजे तक पूजन होता है. क्योंकि ऐसा माना गया है कि इस वक़्त मां लक्ष्मी का आवागमन घर में होता है. यही मां लक्ष्मी का प्राकट्य समय माना गया है. इस वक़्त पूजन करने से मां निर्धन को धन्यधान से परिपूर्ण करती है. घर की समाज की प्रगति होती है. यही हमारे यहां लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व माना गया है.


दीपावली के एक दिन बाद सूर्य ग्रहण
पंडित गोपाल कृष्ण शर्मा ने बताया कि इस बार दीपावली पर्व के एक दिन बाद सूर्य ग्रहण का योग है. ये बहुत पुण्यशाली है. दीपावली पर 24 अक्टूम्बर सोमवार का दिन रहेगा और दोपहर 2 से शाम 7:30 बजे तक महायोग है. वहीं 25 अक्टूबर को अमावस्या पर सूर्य ग्रहण से पहले प्रातः काल मे इसका सूतक काल रहेगा और शाम 4:30 से शाम 6 बजे तक मप्र में इसका प्रभाव देखने को मिलेगा. साथ ही विद्ववानों द्वारा बताया गया है कि इस बार रूप चौदस पर भी मां लक्ष्मी का पूजन कर सकते है. इस बार चूंकी दीपावली पर्व के पास ही सूर्य ग्रहण के योग बने है. ऐसा माना गया है कि किसी पर्व पर या आस-पास अगर सूर्य ग्रहण हो गया तो वह पर्व अधिक पुण्यशाली हो जाता है.


पंडित घनश्याम शर्मा ने भगवान गणेश को लेकर कही यह बात!
पंडित से जब पूछा गया कि दीपावली पर भगवान गणेश की पूजा क्यों की जाती है? इस पर पंडित घनश्याम शर्मा ने कहा कि भगवान गणेश को सर्वप्रथम पूजनीय का वरदान प्राप्त है क्योंकि उन्होंने प्रतिस्पर्धा अपने विवेक से जीती थी. भगवान गणेश बल, बुद्धि और विद्या तीनों के देव है. भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया है. सभी देवताओं ने स्वीकारा है. भगवन गणेश विघ्नहर्ता है इसलिए उन्हें हर कार्य से पहले पूजा जाता है. रही बात दीपावली की तो गौ-माता के गौबर स्व लिप कर मां लक्ष्मी का आव्हान किया जाता है. भगवान विष्णु की पूजा, उसके बाद लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. क्योंकि मां लक्ष्मी प्रभु की दासी है और सदा उनके चरणों में रहती है.