Lodhi Samaj Importance in Madhya Pradesh Politics: मध्य प्रदेश (MP News) में साल के अंत में चुनाव (MP Election 2023) है, इसलिए सभी राजनीतिक दल सभी समुदाय और वर्ग पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. लोधी समुदाय मध्य प्रदेश में एक और गेम चेंजर समुदाय है, जिसका मध्य प्रदेश की कई विधानसभा सीटों पर प्रभाव है, तो चलिए आपको बताते हैं कि लोधी समदाय कैसे कई विधान सीटों पर प्रभाव डाल सकता है... 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


 


MP में यादव समाज क्यों है अहम? बुंदेलखंड में रखते हैं पासा पलट देने की ताकत, ग्वालियर-चंबल में भी है प्रभाव


एमपी में लोधी समाज की अहमियत
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में लोधी समाज महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रभाव रखता है. बता दें कि लगभग नौ प्रतिशत वोट बैंक के साथ लोधी समुदाय 230 सदस्यीय विधानसभा की लगभग 60-65 सीटों पर जीत या हार तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लोधी समुदाय का प्रभाव खासतौर पर बुंदेलखंड, ग्वालियर, चंबल और आसपास के इलाकों में है. मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 13 पर लोधी वोट भी निर्णायक है, जिनमें बालाघाट, खजुराहो, दमोह, सागर, विदिशा और होशंगाबाद जैसी प्रमुख सीटें शामिल हैं.


Kol Tribe: CM शिवराज का कोल समाज पर फोकस! जानें विंध्य फतह के लिए क्यों अहम है ये जनजाति


उमा भारती की अनदेखी
हाल के वर्षों में ऐसी धारणा बनी है कि लोधी समुदाय भाजपा से दूरी बना रहा है. इस बदलाव को उमा भारती के हाशिए पर जाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जो लोधी समुदाय से आने वाली न सिर्फ प्रदेश, बल्कि देश की प्रमुख नेत्री हैं और पिछले कुछ सालों में उनको भाजपा में पहले जैसी अहमियत नहीं मिली है. गौरतलब है कि उमा भारती मध्य प्रदेश में लोधी समाज से बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा थीं, लेकिन पिछले कुछ सालों में पार्टी को लेकर उनकी नाराजगी सामने आई है. इसके अलावा उमा भारती के रिश्तेदार प्रीतम लोधी को ब्राह्मणों पर विवादित टिप्पणी करने के आरोप में बीजेपी से निलंबित कर दिया गया था. हालांकि, बाद में उनकी वापसी हो गई. कहीं न कहीं इससे लोधी समाज बीजेपी से नाराज न हो जाए. ये बीजेपी के लिए भी चिंता का विषय है.


बुंदेलखण्ड-ग्वालियर-चंबल में बीजेपी का ग्राफ गिरा
बता दें कि राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इसका असर 2018 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था, जहां बुंदेलखण्ड क्षेत्र की 26 सीटों में से बीजेपी ने 14 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 10 सीटें जीतीं. वहीं, ग्वालियर-चंबल संभाग की कुल 34 सीटों में से बीजेपी को 7 सीटें मिलीं. जो पिछले चुनाव की 21 के मुकाबले 14 कम थीं. हालांकि, अब तो ये आने वाले चुनाव के रिजल्ट के बाद ही पता चलेगा कि मध्य प्रदेश में लोधी समुदाय का राजनीतिक झुकाव भाजपा से दूर हो रहा है और पहले की तरह अटल है.