नई दिल्ली: देश में लंपी वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ये रोग गायों को संक्रमित कर रहा है. इसका सबसे ज्यादा असर राजस्थान में देखने को मिला जहां तकरीबन 70 हजार गाय-बछड़ों को लम्पी वायरस ने मौत के घाट उतार दिया है. मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात में भी लम्पी वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसका सीधा असर गाय के दूध उत्पादन और उसके गर्भाशय पर पड़ता है. विशेषज्ञों के मुताबिक बीमारी से गाय के दूध के उत्पादन में 50 फीसदी तक कमी आती है. हैरानी की बात तो यह है कि लंपी वायरस से संक्रमित होने वाली गायों की मृत्यु दर 8 से 10 फीसदी  तक पहुंच गई है. ऐसे में लोगों के मन में भी कई सवाल है कि क्या गाय का दूध पीने से भी संक्रमण हो सकता है और क्या लंपी वायरस इसानों में भी फैलता है. आइए एक-एक कर ऐसे तमाम सवालों का जवाब जानते हैं.


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कच्चा दूध भूलकर भी ना पिएं
एक्सपर्टस् के मुताबिक कच्चा दूध भूलकर भी ना पिएं. दूध को कम से कम 15 मिनट तक अच्छी तरह उबालना चाहिए, ताकि उसमें मौजूद बैक्टीरिया काफी हद तक खत्म हो सकें. ऐसे में अगर लोग गाय के दूध को उबाल कर पीते हैं तो उससे खतरा होने की आशंका नहीं है. लेकिन अगर ये दूध गाय का बच्चा सेवन करे तो ये उसके लिए हानिकारक हो सकता है. ऐसे में बछड़े को गाय से अलग कर देना चाहिए.


इंसानों में भी फैलता है लंपी वायरस ?
दुनिया में अभी तक एक भी इंसान को लंपी वायरस नहीं हुआ है. पशुओ में भी इसका संक्रमण अभी तक सिर्फ गायों में ही दिखने को मिला है. अगर कोई गाय संक्रमित है तो दूसरी भी उसकी चपेट में आ सकती है. आगर एक ही बाडे़ में दो या दो से ज्योदा गाय हैं तो संक्रमण आसानी से फैल सकता है. एक संक्रमित गाय के घाव पर बैठने वाली मक्खी, मच्छर के जरिए लंपी वायरस एक से दूसरे जानवर तक पहुंच रहा है. लेकिन हो सकता है आगे चलकर ये वायरस इंसानों में भी फैल जाए. हालांकि अभी तक इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन आपको सावधानी बरतनी चाहिए जैसे दूध निकालते समय हाथों में ग्लव्स और मास्क जरुर पहनें और पर्सनल हाईजिन का ध्यान रखें.


लंपी वायरस के लक्षण
- गाय या भैंस का तेजी से वजन कम होना
- गाय या भैंस की दूध उत्पादक की क्षमता घटना
- शरीर पर 10-50 मिमी गोलाई वाली गांठ निकलना
- इस वायरस से पशु को बहुत तेज बुखार आता है
- खाना बंद करना क्योंकि चबाने और निगलने में परेशानी होना
- जानवरों में बांझपन और गर्भपात की समस्या नजर आना 


अगर आपके आस-पास भी गायों में ऐसे लक्ष्ण नजर आ रहे हैं तो तुरंत इसकी सूचना तुरंत स्वास्थ्य विभाग को देनी चाहिए. ये लक्षण 5 हफ्ते तक बने रहते हैं और सही इलाज न मिलने पर गायों की मौत भी हो सकती है. हालांकि सही समय पर गाय को आइसोटेलट करके इस संक्रमण के खतरे से बचाया जा सकता है.