lumpy virus vaccine: लंपी वायरस (lumpy virus) बीमारी मवेशियों के लिए घातक साबित हो रही है. राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में इस बीमारी से अब तक हजारों गायों की मौत हो चुकी है, जिससे दूध के उत्पादन पर भी असर पड़ा है. केंद्र सरकार और राज्य सरकारें लंपी वायरस को कंट्रोल करने के लिए लगातार प्रयासरत है, लेकिन अब एक अच्छी खबर है. लंपी वायरस की वैक्सीन बन गई है, जो राहत की खबर मानी जा रही है. बताया जा रहा है कि जल्द ही यह टीका मिलना भी शुरू हो जाएगा. 


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1 करोड़ वैक्सीन हर हफ्ते मिलेगा 
दरअसल, लंपी वायरस वैक्सीन की जानकारी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दी है, लंपी वायरस को लेकर सरकार के प्रयासों को लेकर जब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से सवाल किया गया तो उन्होंने अहम जानकारी देते हुए बताया कि लंपी वायरस की वैक्सीन बन चुकी है, जल्द ही इसके 1 करोड़ डोज हर हफ्ते मिलने शुरू हो जाएंगे. 


नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि किसान भाई बिल्कुल भी चिंता न करें क्योंकि केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आधीन आईसीआर रिसर्च इंस्टिट्यूट ने लंपी वायरस का टीका बना लिया है और टीके के व्यवसायी करण के ऑर्डर भी दे दिए गए हैं, जल्द ही यह वैक्सीन मवेशियों को लगनी शुरू हो जाएगी. उन्होंने कहा कि एक करोड़ डोज प्रतिमाह की उपलब्धता से मिलना शुरू भी हो जाएगा, इसकी सभी तैयारियां शुरू कर दी है गई है. बता दें कि लंपी वायरस का यह टीका स्वदेशी है. 


बता दें कि मध्य प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में लंपी वायरस की वजह से हजारों मवेशियों की मौत हो चुकी है. ऐसे में नरेंद्र सिंह तोमर का बयान राहत की खबर माना जा रहा है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लंपी वायरस की वैक्सीन बनने की जानकारी दी थी. 


क्या लंपी वायरस 
दरअसल, लंपी वायरस एक संक्रामक बीमारी है, जो मवेशियों में फैलती है, कई मवेशी लगातार इस वायरल बीमारी का शिकार भी हो रहे हैं. यह बीमारी मच्छरों, मक्खियों, जूं एवं ततैयों की वजह से फैल सकती है. मवेशियों के एक दूसरे के संपर्क में आने और दूषित भोजन एवं पानी के जरिए भी ये दूसरे जानवरों में फैल सकती है. यह बीमारी काफी तेजी से फैली है, जिससे अब तक कई मवेशियों की मौत भी हो चुकी है. हालांकि वैक्सीन मिलने के बाद इस बीमारी से मवेशियों को सुरक्षित रखा जा सकता है. क्योंकि लगातार फैलती इस बीमारी की वजह से देश की दुग्ध उत्पादन व्यवस्था पर भी असर पड़ा था.