India Pakistan Pollution: नवंबर के महीने में ना सिर्फ भारत बल्कि पाकिस्तान में भी पॉल्यूशन ने कहर बरपाए रखा. दोनों देशों के कुछ शहरों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर था. जिसकी वजह से दिल्ली एनसीआर में GRAP-4 भी लगाया गया.
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पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर लाहौर नवंबर महीने के ज्यादातर दिनों में खतरनाक धुंध का सामना करता रहा. इससे शहर के लोगों के लिए स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ गई हैं. 14 नवंबर को प्रदूषण अपने चरम पर था. स्विस वायु-गुणवत्ता निगरानी संगठन, IQAir के डेटा से पता चला कि शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक 1,110 तक बढ़ गया. इस दौरान शहर भर में मेडिकल इमरजेंसी लागू रही, स्कूल बंद रहे और यूनिवर्सिटीज में ऑनलाइन क्लासेज लगीं. उन्होंने प्रदूषण के प्रभाव को कम करने की कोशिश में निर्माण कार्यों पर भी पाबंदियां लगाई गईं.
समाचार एजेंसी राइटर्स के मुताबिक प्रदूषण की गंभीर स्थिति ना सिर्फ पाकिस्तान बल्कि भारत में मिलती जुलती थीं. दिल्ली को भी जहरीली हवा से इसी तरह जूझना पड़ा, क्योंकि प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ गया था. उत्तर भारत और पाकिस्तान के कई इलाकों में छाई घनी धुंध को सैटेलाइट इमेजरी से साफ देखा जा सकता है. 14 नवंबर और 18 नवंबर के तुलनात्मक तस्वीरें धुंध की परत को साफ जाहिर कर रही हैं. तस्वीरों में दिखाई दे रहा है कि 14 नवंबर को लाहौर में प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला, वहीं 18 नवंबर तक दिल्ली की वायु गुणवत्ता और भी खराब हो गई, जिसकी एक वजह हवा के पैटर्न में बदलाव था, जो प्रदूषकों को सीमा पार और क्षेत्र के भीतर ले गया.
14 और 18 नवंबर की सैटेलाइट इमेजरी बदलती हवा के पैटर्न की वजह से धुंध के तेजी से फैलने को उजागर करती है. लाहौर और दिल्ली दोनों ही अक्सर PM 2.5 के उच्च स्तर से जूझते रहते हैं. दिल्ली को ऐतिहासिक रूप से अपनी खराब वायु गुणवत्ता के लिए जाना जाता है, लेकिन लाहौर ने 2024 में कई मौकों पर इसे पीछे छोड़ दिया और खतरनाक रूप से उच्च PM 2.5 स्तर दर्ज किया. पाकिस्तानी पंजाब पर्यावरण डिपार्टमेंट के एक प्रवक्ता ने कहा,'इस साल का स्मॉग पिछले सालों से भी बदतर है. इसकी अहम वजह सितंबर और अक्टूबर के दौरान बारिश का न होना है. उन्होंने आगे कहा कि पिछले साल, सितंबर, अक्टूबर और नवंबर के दौरान हुई बारिश ने हवा से पार्टिकुलेट मैटर को कम कर दिया था. इस साल हम अभी भी इसका इंतजार कर रहे हैं.'
लाहौर में रहने वाले लोगों को मेडिकल इमरजेंसी का सामना करना पड़ा क्योंकि AQI लगातार 'खतरनाक' कैटेगरी में रहा. स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए और कई व्यवसायों ने प्रदूषित हवा के संपर्क को कम करने के लिए परिचालन कम कर दिया. अस्पतालों ने सांस की बीमारियों में इजाफे जानकारियां दीं. खास तौर पर बच्चों और बुजुर्गों में ऐसा देखने को मिला. जिन्ना अस्पताल लाहौर के अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वहीद इमरान ने कहा,'बच्चों के स्मॉग से प्रभावित होने की संभावना ज्यादा होती है, वयस्कों की तुलना में संबंधित बीमारियों और अस्पताल में भर्ती होने की दर ज्यादा होती है.'
विशेषज्ञों का कहना है कि स्मॉग कई कारकों के संयोजन से होता है, जिसमें औद्योगिक उत्सर्जन, वाहनों का धुआं, फसल जलाना और निर्माण धूल शामिल हैं. पाकिस्तान सरकार पर इस बारहमासी समस्या को हल करने के लिए बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है, जिससे विजिब्लिटी कम हो सकती है, आर्थिक नुकसान हो सकता है और लंबे समय तक चलने वाली समस्याएं हो सकती हैं. अधिकारियों ने नवंबर में निवासियों को सलाह दी कि वे चेहरे पर मास्क पहनें और स्मॉग के संपर्क में आने से बचने के लिए सावधानी बरतें. इस साल के स्मॉग में पराली जलाने का अहम योगदान रहा है. भारतीय पंजाब और हरियाणा, साथ ही पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में, किसान अगले रोपण सीजन के लिए खेतों को साफ करने के लिए कटी हुई फसलों के पराली में आग लगाते हैं.