Madhavi Raje Scindia Funeral: पिछले तीन महीने से दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे सिंधिया का 15 मई की सुबह निधन हो गया. उनके निधन की खबर सुनते ही ग्वालियर में भी शोक की लहर दौड़ गई. सिंधिया परिवार ने भी शोक संदेश जारी कर दिया है, जिसमें बताया गया कि कल ग्वालियर में राजमाता माधवी राजे सिंधिया का अंतिम संस्कार किया जाएगा, जिसकी तैयारियां ग्वालियर में शुरू हो गई हैं. 


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अंतिम संस्कार के लिए बनाया गया चबूतरा


राजमाता माधवी राजे सिंधिया का अंतिम संस्कार ग्वालियर में किया जाएगा. बता दें कि ग्वालियर के कटोरा ताल के सामने है सिंधिया राजवंश का समाधि परिसर है, यही पर माधवी राजे का भी अंतिम संस्कार होगा. बताया जा रहा है कि पति स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की छतरी से 50 मीटर की दूरी पर ही उन्हें मुखाग्नि दी जाएगी, जिसके लिए चबूतरा भी बनाया गया है. यही पर उनकी छतरी भी बनाई जाएगी. यह जानकारी सिंधिया परिवार के करीबी अमर कुटे ने दी है. फिलहाल ज्योतिरादित्य सिंधिया के दिल्ली स्थित आवास पर दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा. इसके बाद उनकी पार्थिव देह को ग्वालियर लाया जाएगा. 


जय विलास पैलेस में सुरक्षा बढ़ाई गई


वहीं अंतिम संस्कार की तैयारियों के बीच जय विलास पैलेस परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है, जबकि जय विलास पैलेस परिसर और म्यूजियम के सभी गेट भी बंद कर दिए गए हैं. इसके अलावा महल के सभी गेटों पर पर्यटकों और आम लोगों की एंट्री भी बंद कर दी गई है. सभी जगहों पर सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए हैं. क्योंकि राजमाता माधवी राजे सिंधिया के अंतिम संस्कार में कई बड़े लोग भी शामिल हो सकते हैं. 


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एम्स में चल रहा था इलाज


माधवी राजे सिंधिया की तबियत लंबे समय से खराब थी, दिल्ली के एम्स में उनका इलाज पिछले तीन महीने से चल रहा था. बीते कुछ दिनों से वह वेंटिलेटर पर थी. बताया जा रहा है कि वह निमोनिया के साथ सेप्सिस पीड़ित थी. बताया जा रहा है कि दिल्ली से उनका पार्थिव शरीर ग्वालियर लाया जाएगा, जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. सिंधिया परिवार की तरफ से शोक संदेश भी जारी कर दिया गया है. 


बता दें कि माधवी राजे सिंधिया का संबंध नेपाल के राजघराने से था. 1966 में उनकी शादी सिंधिया परिवार में माधवराव सिंधिया से हुई थी. शादी से पहले उन्हें राजकुमारी किरण राज्यलक्ष्मी के नाम से जाना जाता था. लेकिन शादी के बाद मराठी परंपरा के अनुसार उनका नाम बदला गया था, जिसके बाद उन्हें माधवी राजे सिंधिया के नाम से जाना जाने लगा था. सास राजमाता विजयाराजे सिंधिया के निधन के बाद उन्हें सिंधिया परिवार के राजमाता की पदवी मिली थी.


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