MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके लिए बीजेपी और कांग्रेस (BJP-Congress) ने अपनी रणनीति लगभग तैयार कर ली है और उसे लेकर धरातल पर काम भी शुरू हो गया है. बीजेपी गुजरात (Gujrat News) वाली रणनीति पर एमपी में भी चांस लेने के मूड में है. पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि इस समय मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh News) में सत्ता विरोधी लहर की सुगबुगाहट सुनने में आ रही है. इसके लिए पार्टी को दो मोर्चो पर काम करना है. पहला अंदरूनी कलह को दूर करना और दूसरा बड़े वोट बैंक के बीच जुड़ाव बढ़ाने का काम. इसके लिए सिर्फ बीजेपी ही नहीं कांग्रेस ने भी रोडमैप तैयार कर लिया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

SC/ST और महिला वोटबैंक है जरूरी 
एमपी में जीत की राह आदिवासी और एससीएसटी वोटबैंक के द्वार से होकर ही गुजरती है. इसके अलावा इस समय राजनीति का केंद्र प्रदेश की महिला वोटबैंक पर भी है. इस समय के ताजा आंकड़े तो यही बताते हैं कि देश की 50 प्रतिशत आबादी यानि महिलाओं की वोटिंग प्रतिशत में भी भागिदारी बढ़ी है. ऐसे में इन्हें लुभाने के लिए दोनों राजनीतिक दल कमर कस रहे हैं. पहले देखिए सत्ता पर बैठी बीजेपी ने क्या क्या कदम उठाए हैं. 


मध्यप्रदेश में वोटरों की संख्या पर एक नजर
मध्यप्रदेश में वोटरों की संख्या के आंकड़े देखें तो इस समय 5 करोड़ 39 लाख 85 हजार 876 हो गए हैं.  मीडियो को मिली रिपोर्ट की मानें तो वोटर लिस्ट अपडेशन में 13 लाख 39 हजार नए मतदाता के नाम जुड़े हैं. खास बात ये है कि इसमें पुरुष के मुकाबले महिला वोटर ज्यादा है. करीब 75 हजार से ज्यादा नाम जुड़े हैं.  एमपी के 41 जिलों में महिलाओं का आंकड़ा ज्यादा है. प्रदेश के 52 में से 41 जिलो में महिला वोटरों के नाम ज्यादा जुड़े हैं. यानि महिला वोटरों का आंकड़ा 7.07 लाख बढ़ा है. 


MP में चुनावी समर में महारथियों का 'कास्ट प्लान' तैयार, राजनीतिक जमीन पर अनुसूचित जाति को साधना क्यों है जरूरी


मध्य प्रदेश के पुराने इलेक्शन में साल 2005 के बाद से लगातार महिला वोटरों का प्रतिशत बढ़ा है. साल 2014-15 के चुनाव में महिला मतदाताओं ने पुरुष मतदाताओं की बराबरी में वोटिंग की थी. ये ऐसे पता चलता है कि साल 2004 में पुरुष मतदाताओं का वोट प्रतिशत 78.84% और महिला मतदाताओं का वोट प्रतिशत 74.58% था. ये बाद में बढ़कर 2009 में पुरुष का 81.7% और महिला का प्रतिशत 79.21% रहा. वहीं 2014-15 में पुरुष मतदाताओं का वोट प्रतिशत 83.59% था और महिला मतदाताओं का वोट प्रतिशत 83.17 प्रतिशत था. इसलिए इस बार दोनों पार्टियों का इनपर फोकस है और शिवराज सरकार कई योजनाएं भी चला रही है. 


मुख्यमंत्री जीवन शक्ति योजना
इस योजना के जरिए एमपी सरकार का मुख्य उद्देश्य शहर की बेरोजगार महिलाओं को रोजगार प्रदान करना है और उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर करना है. आर्थिक रूप से कमज़ोर महिलाओं को इस योजना का काफी लाभ मिल रहा है. इसके तहत महिलांए घर पर मास्क तैयार कर रही हैं और इस मास्क को राज्य सरकार खरीदती है. 


प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
यह योजना केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं को रसोई की सुविधा देने के लिए शुरू की गई है. इसके माध्यम से सरकार गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को गैस सिलेंडर उपलब्ध कराती है. बता दें कि इस  योजना का लाभ भारत के करोड़ो परिवार ले चुके हैं.


मध्य प्रदेश में बढ़ रहे हैं स्टार्टअप,जानिए कैसे पुरुषों को टक्कर दे रही हैं महिलाएं


सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना
इस योजना की शुरुआत केंद्र सरकार ने किया था. इसके अंतर्गत प्रसव के दौरान माँ एवं बच्चे का अच्छे से देखभाल के लिए और उन्हें उचित पोषण प्रदान करने के लिए ये योजना शुरू की गई है. इसके जरिए सरकार का उद्देश्य मां और बच्चों दोनों को सुरक्षित रखना है और नर्सों की देखभाल में प्रसव का कार्य करना है. 


कांग्रेस का लड़की हूं लड़ सकती हूं 
बीजेपी के साथ कांग्रेस भी लुभाने में जुटी है. बीते उत्तर प्रदेश विधान सभा के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने लड़की हूं लड़ सकती हूं नाम का एक अभियान चलाया था. जिसके बैनर तले लड़कियों और महिलाओं को जोड़ने का काम किया था. प्रियंका गांधी के नेतृत्व में यूपी की सड़कों पर कांग्रेसी इसके माध्यम से प्रचार - प्रसार करते नजर आए लेकिन विधान सभा चुनावों में कोई असर नहीं दिखा. इसी के तर्ज पर एमपी महिला कांग्रेस ने ये अभियान चलाया इसमें महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष शोभा ओझा को जिम्मदारी दी गई थी. इसके बाद भी ये अभियान सफल नहीं हो पाया. 


150 दिन.. 12 राज्य.. 3570 किलोमीटर और चेहरा एक... राहुल गांधी


संसद में बढ़ी महिलाओं की भागीदारी 
आजाद भारत में पहली बार लोकतंत्र के मंदिर संसद में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. आपको बता दें कि इस समय राज्यसभा में कुल 25 महिला सांसद है जबकि लोकसभा में 78 महिला सासंद है. ऐसा पहली बार हुआ है जब संसद में महिलाओं ने 100 के आंकड़े को पार किया है.


17 महिलाएं बन पाई थी विधायक 
एमपी विधानसभा 2018 की बात करें तो इस विधानसभा चुनाव में महज 17 महिला ही विधायक बन पाई थी. जबकि 2013 विधानसभा में 31 महिला विधायक चुनी गई थी. ऐसे हालत में केंद्र और राज्य सरकारें लगातार कह रही है कि महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत होगी लेकिन घटते हुए आंकड़े महिलाओं की स्थिति कुछ और बता रहे हैं.