Madhya pradesh news- देश में बुंदेलखंड अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है. बुंदेलखंड की संस्कृति और परंपराएं अपने आप में खास हैं तो वहीं नवरात्रि के मौके पर यहां की झलक देखने लायक होती है. विशाल देवी पंडाल के साथ उत्सवी रंग इस अंचल को और भी ज्यादा खास बना देता है. यहाँ का शेर नृत्य सैलानियों को अपनी तरफ खींचता है.प्राचीन काल से शेर का भेष रखकर इस नृत्य को किया जाता है और नवरात्र के पहले दिन से शुरू होने वाले इस नृत्य का समापन शरद पूर्णिमा पर होता है.


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बच्चे और युवा बनते हैं शेर 
 समे बच्चे और युवा शेर बनते हैं और फिर माता के दरबार में जाकर उनके सामने नाचकर उन्हें मनाने और खुश करने का प्रयास करते हैं. देश के दमोह जिले को इस नृत्य को लेकर खास पहचान मिली है. ग्रामीण क्षेत्रो में शेर नृत्य करने वाले कई कलाकार है तो पीढ़ी दर पीढ़ी  कई परिवारों में इस परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है. जहां आधुनिक युग में कई चीजों में बदलाव आया है. लेकिन दमोह की ये परम्परा आज भी अपना वजूद बचाये है और इस नृत्य कला के सरंक्षण की दिशा में लोग लगे हुए हैं.


शारदीय नवरात्रि में होता है विशेष आयोजन
शारदीय नवरात्र पर हर साल जिला मुख्यालय पर एक बड़ा आयोजन कर के इन कलाकरो कि कला का प्रदर्शन कराया जाता है. ये कला आज भी लोगों को लुभाती है, बड़ी संख्या में लोग शेर नृत्य को देखने के लिए पहुंचते हैं. 


रोग होते हैं दूर 
शेर नृ्त्य के पीछे मान्यता है कि माता के सामने शेर बनकर नाचने से रोग दूर होते हैं और सुख शांति मिलती है. नवरात्र में दुर्गा पण्डालों में आकर्षण का केंद्र रहने वाले इस शेर नृत्य का अगला पड़ाव देवी मंदिर होते हैं. शरद पूर्णिमा को ये कलाकर इस श्रृंखला का समापन करते हैं.