भोपाल। मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव का काउंडाउन एक तरह से शुरू हो गया है, एक तरह बीजेपी का प्रदेश संगठन है तो दूसरी तरफ आलाकमान, लेकिन दोनों का टारगेट एक ही मालवा-निमाड़. 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्जैन के दौरे पर पहुंच रहे हैं तो उससे पहले बीजेपी ने तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर मांडू में लगा रखा है. जिसमें पार्टी के 300 से ज्यादा नेता शामिल हुए हैं.  यानि बीजेपी का पूरा फोकस मालवा-निमाड़ परर बना हुआ है. जिसकी एक नहीं बल्कि कई वजह हैं. जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. 


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MP का किंगमेकर है मालवा-निमाड़ 
दरअसल, प्रदेश की सत्ता के लिए मालवा-निमाड़ सबसे अहम होता है, ऐसे में बीजेपी ने यहां खास प्लान बना रखा है. क्योंकि ये वो इलाका है, जहां से राजधानी भोपाल का रास्ता तय होता है, यानि मालवा-निमाड़ को प्रदेश की सत्ता की चाबी कहा जाता है. क्योंकि छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद से ही मालवा-निमाड़ मध्य प्रदेश का एक तरह से किंगमेकर बनकर उभरा है. इस जोन में जिस पार्टी को यहां कामयाबी मिलती है, प्रदेश की सत्ता पर उसी का राजतिलक होता है, पिछले पांच विधानसभा चुनावों के नतीजे तो यही कहते हैं. 


मालवा-निमाड़ में विधानसभा की 66 सीटें 
दरअसल, मालवा-निमाड़ में विधानसभा की 66 सीटें आती हैं, 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार की सबसे बड़ी वजह मालवा-निमाड़ ही रहा था, क्योंकि यहां की फिलहाल यहां की 66 सीटों में से सबसे अधिक 35 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, तो बीजेपी को केवल 28 सीटें मिली थी, जिससे कांग्रेस 15 साल बाद प्रदेश की सत्ता वापसी में सफल रही थी, जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने मालवा-निमाड़ को एकतरफा जीतते हुए 57 सीटों पर अपना कब्जा किया था, जबकि कांग्रेस को केवल 9 सीटें मिली थी. जिससे बीजेपी बंपर बहुमत मिला था. 2013 और 2018 के नतीजों के आधार पर सीटों का यही बड़ा अंतर बीजेपी और कांग्रेस की सरकारें बनवाने में अहम साबित हुआ था, लिहाजा भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए मालवा-निमाड़ सबसे महत्वपूर्ण साबित होता रहा है. दोनों ही दलों ने अपनी-अपनी ताकत इस हिस्से में झोंकते हैं, यही वजह है कि 2023 के लिए बीजेपी यहां खास फोकस कर रही है. 


पीएम मोदी का दौरा सबसे अहम 
मालवा निमाड़ न केवल विधानसभा के लिहाज से अहम बल्कि लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें भी इसी रीजन में आती हैं,कुल 230 सीटों वाली प्रदेश विधानसभा में मालवा-निमाड़ अंचल की 66 सीटें शामिल हैं, यानि मालवा-निमाड़ में 15 जिले, और 2 संभाग आते हैं. ये जिले राजनीतिक, सांस्कृतिक और औद्योगिक हर लिहाज से अहम होते हैं, मालवा निमाड़ में इंदौर, धार, खरगौन, खंडवा, बुरहानपुर, बड़वानी, झाबुआ, अलीराजपुर, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, देवास, नीमच और आगर मालवा शामिल हैं. ऐसे में 11 अक्टूबर को उज्जैन में होने वाला पीएम मोदी का दौरा सांस्कृतिक दृष्टि से जितना अहम है, उससे कही ज्यादा उसके राजनीतिक मायने हैं. राजनीतिक जानकारों का भी मानना है कि बीजेपी 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां चूक गई थी, ऐसे में वह पुरानी गलती दोबारा नहीं करना चाहती और अभी से इस खास जोन पर अपनी पकड़ फिर मजबूत करना चाहती है. 


आदिवासी वर्ग पर खास फोकस 
मालवा निमाड़ पश्चिमी मध्यप्रदेश के इंदौर और उज्जैन संभागों में फैला है, इस अंचल में आदिवासी और किसान तबके के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. मालवा-निमाड़ का चुनावी महत्व इसी बात से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद यहां आ रहे हैं. प्रदेश की 47 विधानसभा सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, जिनमें सबसे ज्यादा मालवा-निमाड़ में आती हैं, पिछली बार इन सीटों पर बीजेपी को नुकसान हुआ था, लेकिन इस बार पार्टी यहां बूथ मैनेजमेंट को फिर मजबूत करना चाहती है. मध्य प्रदेश में तेजी से उभरा जयस नामक आदिवासी संगठन मालवा-निमाड़ में ही अपनी सबसे ज्यादा पकड़ रखता है, पिछले साल इस संगठन ने एक तरह से कांग्रेस का समर्थन किया था, जिससे बीजेपी को यहां नुकसान हुआ था. ऐसे में आदिवासी वर्ग का साथ छूटने की कमी को बीजेपी यहां अब फिर से भरने की तैयारी में हैं. 


संघ की नर्सरी माना जाता है मालवा-निमाड़ 
खास बात यह भी है कि मालवा-निमाड़ संघ की नर्सरी माना जाता है. संघ का सबसे ज्यादा फोकस यही रहता है. वहीं मध्य प्रदेश बीजेपी के ज्यादातर बडे़ नेता इसी अंचल से निकले हैं. वैसे तो मालवा निमाड़ में बीजेपी के कई दिग्गज नेता आते हैं, लेकिन सीएम शिवराज इस अंचल से न होते हुए भी उनकी स्वीकार्यता यहां मानी जाती है, जबकि कैलाश विजयवर्गीय इस क्षेत्र में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा है. इसके अलावा मालवा-निमाड़ से आने वाले बीजेपी नेता सत्यनारायण जटिया को भी बीजेपी संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है. जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भी बीजेपी में आने से मालवा निमाड़ में पार्टी की ताकत बड़ी है. ऐसे में पार्टी एससी-एसटी के साथ ओबीसी वर्ग को भी साधने की पूरी तैयारी में हैं. कुल मिलाकर बीजेपी का पूरा फोकस मालवा-निमाड़ पर बना हुआ है.