भोपाल। मध्य प्रदेश ने 88 साल बाद रणजी ट्रॉफी जीतकर इतिहास रच दिया (Ranji Trophy Final 2022) एमपी की टीम ने फाइनल मुकाबले में कई बार की विजेता मुंबई जैसी मजबूत टीम को हराकर इतिहास रच दिया. टीम को पहली खिताबी जीत दिलाने में मध्य प्रदेश के कई खिलाड़ियों ने बल्ले और गेंद से कमाल का प्रदर्शन किया, जिसके चलते टीम ने रणजी का किला फतह कर लिया. लेकिन टीम की इस खिताबी जीत में सबसे अहम योगदान रहा कुमार कार्तिकेय सिंह का रहा, जिन्होंने अपने बल्ले और गेंद से गजब का प्रदर्शन किया. कार्तिकेय ने पूरे सीजन में कमाल का प्रदर्शन किया है. लेकिन उनकी कहानी भी उनके क्रिकेट करियर की तरह ही रोचक है. 


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सेमीफाइनल में दिखाया स्पिन का जादू 
एमपी के धाकड़ प्लेयर कुमा कार्तिकेय ने सेमीफाइनल में अपनी स्पिन का जादू दिखाया. उन्होंने पश्चिम बंगाल के खिलाफ पहली पारी में 3 और दूसरी में 8 विकेट झटके, जिसके चलते एमपी की टीम मजबूत स्थिति में पहुंच गई और उसने सेमीफाइनल में बंगाल का करारी शिकस्त दी. इससे पहले भी कुमार ने हर एक मैच में अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया, उनके इसी प्रदर्शन के चलते एमपी की टीम रणजी जीतने में सफल रही. 


रणजी में लिए 32 विकेट 
कुमार कार्तिकेय ने पूरे रणजी टूर्नामेंट के 6 मैचों में 32 विकेट लिए. वह टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज की लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं. कार्तिकेय ने 5 बार पांच या उससे ज्यादा विकेट लिए. वहीं पहले नंबर पर मुंबई के बॉलर शम्स मुलानी हैं, जिन्होंने टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 45 विकेट झटके थे, उनके बाद कुमार कार्तिकेय ही थे. वह पूरे सीजन में जबरदस्त फॉर्म में दिखे और अपने प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया. 


टॉयर फैक्ट्री में किया काम 
कुमार कार्तिकेय मूल रुप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, उनका यूपी की अंडर-16 टीम में सिलेक्शन भी हुआ था, वहां क्रिकेट खेलने के बाद कार्तिकेय ने दिल्ली का रुख किया, उन्होंने दिल्ली में लंबे समय तक लाल बहादुर शास्त्री एकेडमी में अपने क्रिकेट को निखारा, दिल्ली उनके लिए बहुत महंगा पड़ता था, ऐसे में कार्तिकेय गाजियाबाद में रहते थे और रोज दिल्ली जाकर प्रैक्टिस करते थे. इतना ही नहीं उन्होंने खर्चा चलाने के लिए टायर की फैक्ट्री में भी काम किया, इस दौरान कोच संजय भारद्वाज ने कार्तिकेय की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें गेदबाजी के गुर सिखाने शुरू किए. हालांकि कुमार दिल्ली के ट्रायल में भी सफल नहीं हुए. यानी उन्हें 2 स्टेट में नहीं चुना गया.


यूपी में नहीं मिली जगह तो एमपी आ गए 
कुमार कार्तिकेय को दिल्ली में पर्याप्त सफलता नहीं मिल रही थी, ऐसे में उन्होंने कार्तिकेय को मध्य प्रदेश जाने की सलाह दी इसके बाद कार्तिकेय शहडोल आ गए और यहां क्रिकेट एकेडमी में प्रदर्शन शुरू कर दिया. उनकी लगन और काबिलियत को देखते हुए कोच संजय भारद्वाज ने कार्तिकेय को शहडोल क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अजय द्विवेदी के पास भेजा. कार्तिकेय ने वहां डिवीजन क्रिकेट के पहले दो सालों में 50 से अधिक विकेट लिए. उस वक्त वो लगातार अच्छा कर रहे थे. इसी बीच मध्य प्रदेश का ट्रायल शुरू हुआ और कार्तिकेय ने अपनी गेंदबाजी से धूम मचा दी, जिसका इनाम उन्हें मिला नवंबर 2018 में, जब उन्हें रणजी मैच के लिए एमपी की टीम जगह मिल गई और उसके बाद उनका रणजी सीजन शुरू हुआ. 


आईपीएल में मुंबई ने दिया मौका 
कुमार कार्तिकेय ने रणजी में अच्छा प्रदर्शन किया, जिसके बाद उन्हें आईपीएल खेलने का मौका भी मिला. साल 2022 के आईपीएल ऑक्शन में इस आईपीएल में कार्तिकेय मुंबई इंडियंस के साथ नेट्स गेंदबाज के रूप में जुड़े थे. इस दौरान बाएं हाथ के इस स्पिनर ने टीम मैनेजमेंट को इतना प्रभावित किया कि एक खिलाड़ी के चोटिल होने पर कार्तिकेय मुख्य टीम में शामिल हो गए. फिर उन्हें अगले ही मैच में डेब्यू का मौका भी मिल गया. उस मुकाबले में राजस्थान के लिए कार्तिकेय ने 4 ओवर में 19 रन देकर संजू सैमसन का विकेट लिया था. तभी से कुमार कार्तिकेय सुर्खियों में बने हुए हैं.  जबकि इस बार के रणजी सीजन में तो उन्होंने धमाल मचा दिया. 


कुमार कार्तिकेय ने अपने प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया है. इस साल के रणजी सीजन में मध्य प्रदेश को 88 साल के इतिहास में पहली बार टूर्नामेंट जीतने में अहम भूमिका निभाई. अब उनकी नजरें इडियन क्रिकेट टीम की नीली जर्सी पहने की है. 


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