Dhanteras In Ratlam: रतलाम का महालक्ष्मी मंदिर रियासत काल से पहले का बताया जाता है. रतलाम के महाराज रतनसिंह ने रतलाम में 4 लक्ष्मी मंदिर की स्थापना की थी, जिसमें रतलाम के शहर बीचोबीच स्थित महालक्ष्मी मंदिर को सबसे मुख्य माना जाता है. रियासत काल से यहां एक परम्परा चली आ रही है कि नवरात्र में धनवान लोग अपने गहने और नकदी मंदिर के पुजारी को देते हैं और दिवाली तक यहां धन की देवी धन धान्य के साथ दर्शन देती हैं. 


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परम्परा आज भी वही है. लोग अपने अपने हिसाब से महालक्ष्मी मंदिर के खजाने की सजावट के लिए नोटों की गड्डियां ज्वेलरी दे जाते हैं, लेकिन अब यह सजावट दिवाली के पांच दिवसीय दीपोत्सव के दिनों तक ही होती है.


अन्य राज्यों से भी आते हैं भक्त
श्रद्धालु यहां न सिर्फ रतलाम और आसपास के जिलों से बल्कि अन्य राज्यों से भी आते हैं. इस मंदिर में मध्य प्रदेश के मन्दसौर, धार, भोपाल के अलावा मुम्बई से भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. कई लोगों की आस्था धन की देवी महालक्ष्मी को लेकर ऐसी हुई कि उन्होंने अपने कारोबार ही महालक्ष्मी के नाम पर शुरू किए और आज अच्छे व्यवसाय से करोड़ों रुपये कमा रहे हैं. डॉक्टर हो या व्यापारी या कोई भी हर कोई दिवाली पर महालक्ष्मी के दर्शन कुबेर खजाने के साथ कर अपने आप को धन्य पाता है.


पूरी होती है भक्तों की मनोकामना
ेमंदिर के पुजारी भी बताते हैं कि महालक्ष्मी का पूजन पूरे विधि विधान से करने से सबकी मनोकामना पूर्ण होती है. महालक्ष्मी का दिवाली पर पूजन बहुत ही लाभकारी होता है. महालक्ष्मी को हल्दी कुमकुम चांवल के साथ 5 प्रकार के फल का चढ़ावा लेकर पूजन करना चाहिए. इस मंदिर में अब अष्ट लक्ष्मी के भी दर्शन श्रद्धालुओं को होते हैं. यहां मंदिर में दोनों तरफ अष्ट महालक्ष्मी की प्रतिमाएं भी स्थापित कर दी गयी हैं.


रतलाम से चन्द्रशेखर सोलंकी की रिपोर्ट


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