Mahashivratri 2023: 1 रात में बना था ये शिव मंदिर! हर दिन अलौकिक शिवलिंग बदलता है रंग,जानिए रोचक इतिहास
Mahashivratri 2023: रीवा का देवतालाब मंदिर अलौकिक मंदिर है. यह मंदिर एक दिन में बनकर तैयार हुआ था. इस मंदिर का शिवलिंग हर दिन अपना रंग बदलता है तो आइए आपको बताते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में...
History of Deotalab Temple of Rewa: मध्य प्रदेश में महादेव के एक से मंदिर हैं, जिनके दर्शन के लिए भक्त देश-विदेश से आते हैं और आज हम आपको मध्य प्रदेश के ऐसे ही एक अलौकिक मंदिर के बारे में बताते हैं. जिसका इतिहास बहुत ही खास है.देवतालाब मंदिर रीवा जिले में स्थित है. जो जिला मुख्यालय से 55 किमी की दूरी पर शिवनगरी में स्थित है. कहा जाता है कि यहां भगवान शिव के अलौकिक शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी.जो रोज अपना रंग बदलता है.
एक रात में बना मंदिर
देवतालाब शिव मंदिर का निर्माण के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान शिव के आदेश पर भगवान विश्वकर्मा ने करवाया था. इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक रात में हो गया था. इस मंदिर में एक पत्थर रखा है. इसके बारे में कहा जाता है कि मंदिर की आखिरी शिला रखी जानी थी. इसी बीच सुबह होने लगी थी.इसलिए यह पत्थर ऐसे ही रह गया.जो मंदिर निर्माण के समय छूट गया था क्योंकि सुबह का समय था.
देवतालाब मंदिर का इतिहास
जानकारों का कहना है कि शिव के परम भक्त महर्षि मार्कण्डेय शिव भक्ति के प्रचार के लिए भ्रमण करते थे.इसी यात्रा के दौरान महर्षि मार्कंडेय रीवा पहुंचते हैं. वे देवतालाब में विश्राम किया. इसी विश्राम के दौरान महर्षि को भगवान शिव के दर्शन की इच्छा जाग्रत हुई और वे शिव की आराधना में लीन हो गए. महर्षि की साधना देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और विश्वकर्मा को उसी स्थान पर एक विशाल मंदिर बनाने का आदेश दिया. शिव की भक्ति में लीन महर्षि मार्कंडेय ने मंदिर निर्माण के बाद अपनी तपस्या समाप्त की.तभी से यह मंदिर शिव भक्तों के लिए बहुत ही खास है.
चार धाम यात्रा को पूर्ण करने के लिए
मान्यता है कि चार धाम की यात्रा पूरी करने के लिए इस मंदिर के शिवलिंग पर रामेश्वरम शिवलिंग के साथ-साथ गंगोत्री का जल भी चढ़ाना चाहिए. तभी चार धाम की यात्रा सफल मानी जाती है. इस कारण तीर्थयात्री, तीर्थयात्रा पूरी करने के बाद गंगोत्री का जल शिव मंदिर देवतालाब में लाते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं. उसके बाद ही चार धाम की यात्रा सफल मानी जाती है. साथ ही यहां चार और मंदिर बनाए गए हैं. जिसे रीवा के महाराजा ने बनवाया था. कहा जाता है कि इन चार मंदिरों के दर्शन करने से भी चार धाम की यात्रा पूरी हो जाती है.
भक्तों की आस्था है
इस मंदिर में भक्तों की अपार आस्था है. यहां लोग अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए मुंडन, भंडारा आदि का आयोजन करते हैं. इस मंदिर में मेला भी लगता है. जिसमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंचती है. इसके अलावा महाशिवरात्रि और सावन के दिन भी हजारों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं.
तालाब से बना नाम
मंदिर के चारों ओर कई तालाब हैं, जिसके कारण इस स्थान को देवतालाब कहा जाता है. शिव मंदिर के परिसर में मौजूद तालाब को शिवकुंड कहा जाता है. भक्त इस कुंड से जल लेकर ही पंच शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं. इसके अलावा यहां गौरी माता का मंदिर भी है. यहां की मान्यता है कि भगवान शिव और मां गौरी की युति करने पर भक्तों की मनोकामना पूरी होती है.