Mahatma Gandhi Death Anniversary 2023:आपको याद होगा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 के लोकसभा चुनाव का प्रचार करने वाराणसी पहुंचे थे, तो उन्होंने कहा था कि वो मां गंगा के बेटे हैं और उन्हें मां गंगा ने बुलाया है.पीएम का मां गंगा से लगाव तो जगजाहिर है.ठीक वैसा ही कनेक्शन गांधीजी का गंगा से नहीं, बल्कि देश की एक और पवित्र नदी से था. ये बात और खास हो जाती है, जब पीएम और गांधी जी दोनों गुजरात से ही आते हैं. बता दें कि बापू का लगाव गंगा से ज्यादा मध्यप्रदेश की एक नदी से था और उनकी अंतिम इच्छा भी यही थी कि उनकी अस्थियां उस नदी में विसर्जित की जाएं....


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प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि होती है और इस दिन को शहीद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.बता दें कि संस्कारधानी यानी जबलपुर से महात्मा गांधी का गहरा नाता था.इसलिए मरने से पहले उनकी आखिरी इच्छा थी कि उनकी अस्थियां नर्मदा नदी में विसर्जित की जाएं. उनकी अस्थियां तिलवारा घाट में विसर्जित की गईं थी. जब उनकी अस्थियां विसर्जित की जा रही थीं तो शहर में लाखों की संख्या में लोग जमा हुए थे. गौरतलब है कि हर कोई उन्हें आखिरी बार देखना चाहता था.गांधीजी को श्रद्धांजलि देने और उनकी स्मृति को संरक्षित करने के लिए उसी घाट पर गांधी स्मारक भी बनाया गया था.


जबलपुर में गांधी स्मारक
महात्मा गांधी की अंतिम स्मृतियों को संजोए रखने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए तिलवारा घाट पर गांधी स्मारक का निर्माण किया गया है था.जो पर्यटकों का केंद्र बना हुआ है. बता दें कि गांधी जी के स्मारक को देखने के लिए देश भर से लाखों लोग आते हैं.यह स्मारक गांधी जी के सत्य और अहिंसा का संदेश देता है. गांधी जी इस शहर में एक आश्रम बनाना चाहते थे, लेकिन अफसोस वे आश्रम नहीं बनवा पाए.


गांधीजी की जबलपुर यात्रा और उनकी अंतिम इच्छा
गांधी जी पहली बार 1921 में जबलपुर आए थे, इसके बाद दिसंबर 1933 में वे जबलपुर आए.अध्यात्म से उनका गहरा लगाव था. इसलिए वे जब भी जबलपुर आते थे तो नर्मदा नदी के दर्शन जरूर करते थे. उन्होंने तीन बार मां नर्मदा का दर्शन किया था.जबलपुर की दूसरी यात्रा के दौरान छुआछूत का आंदोलन जोरों पर था.इसके समाधान के लिए वे जबलपुर गए थे इस प्रकार उन्हें चार बार इस नगर में आना हुआ. वो 1941 में भेड़ाघाट धुआंधार जलप्रपात का भी दौरा किया था.गांधी जी का जबलपुर से इतना गहरा आध्यात्मिक लगाव था कि उन्होंने अपनी अस्थियां इसी शहर में विसर्जित करने की इच्छा जताई थी.


तिलवारा घाट में अस्थि विसर्जन
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को हत्या कर दी गई थी.इतिहासकारों के अनुसार उनकी चिता की राख और  अस्थियों को देश की विभिन्न नदियों में विसर्जित किया गया था.इनमें से एक में नर्मदा नदी के तिलवारा घाट पर बापू की अस्थियां भी विसर्जित की गईं.उनकी अस्थियां विसर्जित करने के दौरान लाखों की संख्या में लोग बैलगाड़ियों में बैठकर उन्हें देखने आए थे.हर किसी की ख्वाहिश थी कि एक बार बापू के अंतिम दर्शन कर लूं.