धान पंजीयन फर्जीवाड़ा!, महाराज रीवा के 24 साल पहले मृत भाई का कर दिया पंजीयन, जानें कहानी
mp news-मैहर में धान पंजीयन में फर्जीवाड़ा लगातार किया जा रहा है. इस फर्जीवाड़े का नायाब उदाहरण सामने आया है जहां मृत व्यक्ति का ही पंजीयन कर दिया.
madhya pradesh news-मध्यप्रदेश के मैहर में धान खरीदी के पंजीयन में फर्जीवाड़ा सामने आया है, जहां करीब 24 साल पहले मृत व्यक्ति का पंजीयन कर दिया गया. यह मैहर जिले में फर्जीवाड़े का दूसरा मामला है. रीवा रियासत के महाराजा मार्तण्ड सिंह के भाई के नाम पर पंजीयन किया गया है. पंजीयन का कागज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
इस पूरे मामले में प्रशासन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, अधिकारियों ने मामले पर चुप्पी साध ली है.
20 साल पहले हुई मौत
मामला जिले के आनंदगढ़ का है, जहां मृत जगदीश जू देव का नाम धान पंजीयन भूस्वामी के रूप में सामने आया है. बीते दिनों सभी जिलों में किसानों का धान पंजीयन किया जा रहा था. इस पंजीयन के कार्य में प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर रीवा रियासत महाराजा मार्तण्ड सिंह जू देव के भाई दादू जगदीश जू देव की भूमि आनंदगढ़ की दो भूमि को अपने पंजीयन में शामिल किया है. इसमें स्थानीय कर्मचारियों और सेवा सहकारी समिति की भूमिका संदिग्ध है.
मृतक का नहीं होता पंजीयन
जब किसी व्यक्ति की जमीन को पंजीयन में शामिल किया जाता है तो उस व्यक्ति का कार्यालय पर उपस्थिति दर्ज करवाना अनिवार्य होता है. लेकिन जिस व्यक्ति की मौत पहले ही हो चुकी है वह कार्यालय कैसे पहुंचा. दादू जगदीश जू देव की मृत्यु साल 2000 में हो चुकी है. वहीं उसी गांव के रावेंद्र पांडेय ने कहा कि मैंने भी पंजीयन का आवेदन किया था लेकिन उसके निरस्त कर दिया गया. मेरी जमीन किसी अन्य के खाते में दिखाई दे रही है, धान बेचने जाने पर कम कीमत पर धान ली जा रही है.
हिस्से में मिली थी रियासत
इतिहासकार सीतासरन गुप्ता ने बताया कि दादू जगदीश महाराज मार्तण्ड सिंह के सौतेले भाई थे. आनंदगढ़ की रियासत उनके हिस्से में मिली थी तब से वो यही रहते थे. करीब 24 साल पहले उनकी मृ्त्यु हो गई थी, इसके बाद उनकी प्रतिमा स्थापित करवाई गई थी.